गुवाहाटी/ईटानगर। पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के चलते असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में बाढ़ और भूस्खलन से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। अब तक क्षेत्र में 36 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है और 5.5 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।
सबसे ज्यादा असर असम में
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) के अनुसार, राज्य के 22 जिलों में 5.35 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। श्रीभूमि जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां लगभग 1.94 लाख लोग प्रभावित हैं। कछार में 77,961 और नगांव में 67,880 लोग बाढ़ से जूझ रहे हैं। राज्य में अब तक 11 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि दो लोग लापता हैं।
अन्य राज्यों में स्थिति
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अरुणाचल प्रदेश: 10 लोगों की मौत
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मेघालय: 6 लोगों की जान गई
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मिजोरम: 5 मौतें
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सिक्किम: 3 मौतें (सभी सेना के जवान, भूस्खलन में शहीद)
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त्रिपुरा: 1 मौत
सिक्किम के छतेन इलाके में सेना का एक शिविर भूस्खलन की चपेट में आ गया, जिसमें तीन जवानों की मौत हो गई और छह अन्य लापता हैं।
राहत व बचाव कार्य जारी
राज्य सरकारों और एनडीआरएफ की टीमें राहत व बचाव कार्यों में जुटी हैं। असम में 165 राहत शिविर स्थापित किए गए हैं, जहां 31,212 लोगों को सुरक्षित आश्रय दिया गया है। 157 राहत वितरण केंद्र भी काम कर रहे हैं। बारिश के कारण 12,610 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो गई है, जबकि 94 मवेशी बह गए हैं।
नदियों का रौद्र रूप
असम में ब्रह्मपुत्र नदी समेत कई प्रमुख नदियां – बराक, कोपिली, सुबनसिरी, बुरहीदिहिंग, धनसिरी आदि खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। कुछ इलाकों में तटबंध टूट गए हैं और कई जगह सड़कें, पुल, बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त हुए हैं।
परिवहन व्यवस्था प्रभावित
बाढ़ के चलते रेलवे और जल परिवहन सेवाएं प्रभावित हुई हैं। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने बताया कि सिलचर में जलभराव के कारण दो ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है, जबकि एक की समय-सारणी बदली गई है। माजुली और जोरहाट के बीच नौका सेवाएं भी स्थगित हैं।
केंद्र सरकार का आश्वासन
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम के मुख्यमंत्रियों और मणिपुर के राज्यपाल से फोन पर बात कर हालात की जानकारी ली है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस संकट में पूर्वोत्तर के लोगों के साथ "चट्टान की तरह खड़ी" है और हरसंभव मदद प्रदान की जाएगी।
पूर्वोत्तर भारत इस समय प्राकृतिक आपदा के कठिन दौर से गुजर रहा है। प्रशासन और राहत एजेंसियां पूरी मुस्तैदी से काम में जुटी हैं, लेकिन स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। सरकार ने लोगों से सतर्क रहने और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत राहत केंद्रों का रुख करने की अपील की है।