भोपाल/पचमढ़ी।
मध्य प्रदेश सरकार 3 जून को एक ऐतिहासिक पहल करने जा रही है। राज्य के खूबसूरत हिल स्टेशन पचमढ़ी स्थित 132 साल पुराने राजभवन में पहली बार डेस्टिनेशन कैबिनेट मीटिंग आयोजित की जाएगी। मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में होने वाली यह बैठक जनजातीय नायक और स्वतंत्रता सेनानी राजा भभूत सिंह को समर्पित होगी। इस बैठक के जरिए सरकार यह संदेश देना चाहती है कि प्रदेश के विकास की प्रक्रिया में अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को प्राथमिकता दी जा रही है।
ग्रीष्मकालीन राजधानी की ऐतिहासिक पहचान
पचमढ़ी को आजादी के बाद 1967 तक मध्य प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में उपयोग किया जाता था। उस समय यह राजभवन राज्यपाल का आधिकारिक निवास हुआ करता था। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री गोविंद नारायण सिंह ने इस परंपरा को समाप्त कर दिया। अब वर्षों बाद यह भवन एक बार फिर प्रशासनिक गतिविधियों का केंद्र बनने जा रहा है।
राजभवन का निर्माण और ब्रिटिश कालीन महत्व
पचमढ़ी का यह राजभवन वर्ष 1887 में निर्मित हुआ था। पहले यह क्षेत्र बैतूल के एक जागीरदार के अधीन था, जिसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने अधिग्रहित कर ‘गवर्नमेंट हाउस’ बना दिया। ब्रिटिश शासन के दौरान यह भवन प्रशासनिक बैठकों और अधिकारियों के ठहरने का प्रमुख केंद्र रहा।
22.84 एकड़ में फैले इस भवन की निर्माण लागत उस समय ₹91,344 थी। बाद में 1910-11 में डांस हॉल का निर्माण ₹20,770 में और 1912 में काउंसिल चैंबर (अब दरबार हॉल) का निर्माण ₹14,392 की लागत से हुआ। 1933 से 1958 तक यहां कई बार विस्तार और मरम्मत कार्य किए गए।
यूरोपीय वास्तुकला और आलीशान इंटीरियर
मुख्य भवन यूरोपीय वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। इसमें कुल 8 कमरे हैं, जिन्हें सतपुड़ा, महादेव, जटाशंकर, चौरागढ़, पांडव, रजत, राजेंद्रगिरी और वायसन जैसे नाम दिए गए हैं। राजभवन की हर दीवार, छत, दरवाज़ा और खिड़की में उस दौर की शाही बारीकी देखी जा सकती है। सागौन की लकड़ी से बने सोफे, राइटिंग टेबल, ड्रेसिंग टेबल और पुरानी कालीनें इसकी भव्यता को आज भी बरकरार रखे हुए हैं।
दरबार हॉल और डांस हॉल की खासियत
डांस हॉल, जो लकड़ी की खोखली फर्श पर बना है, ब्रिटिश अधिकारियों के लिए नृत्य और संगीत का केंद्र था। वहीं, दरबार हॉल में आज भी ब्रिटिश काल की बिलियर्ड टेबल, पियानो, नक्काशीदार फर्नीचर और सभाओं के लिए इस्तेमाल होने वाली गोल मेज सुरक्षित रखी गई हैं।
इंद्रधनुष डॉरमेट्री और किचन गार्डन
पूर्व में 'बी बंगला' और 'कैम्प हॉल' के रूप में इस्तेमाल की गई इमारत को अब 'इंद्रधनुष' नामक डॉरमेट्री में बदला गया है, जिसमें 40 शयनकक्ष हैं। इसका लोकार्पण 2020 में तत्कालीन राज्यपाल लालजी टंडन ने किया था। यहां छात्रों के लिए ठहरने की व्यवस्था है।
राजभवन परिसर में लगभग 10 एकड़ में फैला किचन गार्डन भी है, जिसमें दशहरी, चौसा, सुंदरजा जैसे आम, लीची, नाशपाती, जामुन और अन्य दुर्लभ फलदार पेड़ हैं। यहां उगाई जाने वाली ‘सेंटरोज’ किस्म की लीची प्रदेश में सिर्फ पचमढ़ी में पाई जाती है।
प्राकृतिक समृद्धि और सुरक्षा व्यवस्था
राजभवन परिसर प्राकृतिक विविधता से भी भरपूर है। यहां पक्षियों की दर्जनों प्रजातियाँ, बड़ी गिलहरियाँ, नेवले और उल्लू देखे जा सकते हैं। तीन द्वारों वाले इस परिसर की सुरक्षा के लिए पुलिस चौकी और 24x7 होमगार्ड की तैनाती रहती है।