उत्तर प्रदेश के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय (डीडीयू) में गुरुवार को भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई। विश्वविद्यालय के प्रधान सहायक और कार्यालय अधीक्षक (संबद्धता) डॉ. बृजनाथ सिंह उर्फ बीएन सिंह को एंटी करप्शन टीम ने 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया।
शिकायत पर हुई कार्रवाई
कुशीनगर के तमकुहीराज क्षेत्र के भरपटिया गांव निवासी संदीप कुशवाहा ने बीएन सिंह पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। शिकायत के मुताबिक, रामपुर राजा के वैष्णवी महिला कॉलेज की मान्यता और सह आचार्य की नियुक्ति के अनुमोदन के नाम पर बीएन सिंह ने 50 हजार रुपये की मांग की थी। इसी आधार पर एंटी करप्शन टीम ने जाल बिछाया और गिरफ्तारी की।
पूरी तैयारी के साथ छापेमारी
एंटी करप्शन टीम को बीएन सिंह के प्रभाव का अंदाजा था, इसलिए करीब 45–50 सदस्यों की टीम ने विश्वविद्यालय परिसर और प्रशासनिक भवन के आसपास निगरानी रखी। शिकायकर्ता ने तय योजना के तहत बीएन सिंह को पैसे दिए और जैसे ही उन्होंने रकम ली, टीम ने उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद उन्हें हिरासत में लेकर कैंट थाना ले जाया गया, जहां संदीप कुशवाहा की तहरीर पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
‘अंगद के पांव’ बने कर्मचारी
डीडीयू के संबद्धता अनुभाग में कई लिपिक वर्षों से तैनात हैं और नियमों के विपरीत लंबे समय तक एक ही पटल पर जमे हुए हैं। नियम के मुताबिक तीन साल में पटल परिवर्तन होना चाहिए, लेकिन कुछ कर्मचारी 10–12 साल से यहां कार्यरत हैं। कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि विश्वविद्यालय की जीरो टॉलरेंस नीति के तहत इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही सभी पटलों पर जल्द बड़े स्तर पर स्थानांतरण करने के संकेत भी दिए।
जांच कमेटी गठित होगी
कुलपति ने फाइलों के निस्तारण में हो रही देरी को गंभीर मानते हुए एक जांच कमेटी बनाने का आदेश दिया है। यह कमेटी पता लगाएगी कि किन कार्यालयों में फाइलें रोकी जा रही हैं और देरी के लिए कौन जिम्मेदार है। दोषियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
पुलिस का बयान
गोरखपुर के एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने पुष्टि की कि एंटी करप्शन टीम ने बीएन सिंह को रिश्वत लेते पकड़ा है और मामले में कानूनी कार्रवाई जारी है।