उत्तर प्रदेश – मथुरा में वर्ष 2016-17 और 2019-20 के दौरान हुए 27 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले के आरोपित समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों पर विभाग अब तक ठोस कार्रवाई नहीं कर पाया है। शिकायतकर्ता रामलाल शर्मा ने बार-बार विभाग में शिकायत की, लेकिन मामले में कोई ठोस पहल नहीं दिखाई दी।
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों और माध्यमिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ इस प्रकरण में कार्रवाई की जा चुकी है, लेकिन आरोपित कर्मचारियों के खिलाफ अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया। इससे सवाल उठ रहे हैं कि विभाग आरोपित कर्मचारियों पर क्यों मेहरबान है।
इस घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू कर रही है। विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बावजूद लगभग डेढ़ दर्जन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाई। शिकायत के बाद समाज कल्याण विभाग के निदेशक कुमार प्रशांत ने 22 मई 2025 को पत्र लिखकर संयुक्त निदेशक स्थापना और मथुरा, आगरा, मुरादाबाद और इटावा के जिला समाज कल्याण अधिकारियों से आरोपित कर्मचारियों का विस्तृत ब्यौरा मांगा था।
हालांकि, जिन अधिकारियों को फाइलें खंगालकर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्होंने इसमें कोई ठोस दिलचस्पी नहीं दिखाई। ऐसे में इस घोटाले में जहां वरिष्ठ अधिकारियों पर कार्रवाई हुई, वहीं आरोपित बाबू आराम से ड्यूटी निभा रहे हैं। शिकायतकर्ता ने समाज कल्याण विभाग के पूर्व निदेशक पर भी आरोप लगाया है कि उन्होंने कर्मचारियों पर मेहरबानी दिखाकर उन्हें बचा लिया।
हाल ही में फिर से शिकायत मिलने के बाद यह मामला एक बार फिर गरमा गया है और अब इस पर निगरानी बढ़ाने की मांग उठ रही है।