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राज्य / बिहार

Bihar Election 2025: सुगौली सीट पर बड़ा उलटफेर! वीआईपी प्रत्याशी शशि भूषण सिंह का नामांकन रद्द, चिराग पासवान को मिल सकता है फायदा

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पूर्वी चंपारण/पटना:
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण से ठीक पहले पूर्वी चंपारण जिले की सुगौली विधानसभा सीट पर बड़ा राजनीतिक ड्रामा सामने आया है। महागठबंधन के घटक दल वीआईपी (विकासशील इंसान पार्टी) के उम्मीदवार और मौजूदा आरजेडी विधायक शशि भूषण सिंह का नामांकन रद्द हो गया है।

नामांकन पत्रों की जांच के दौरान पाई गई तकनीकी गड़बड़ियों के चलते निर्वाचन अधिकारी श्वेता भारती (सदर एसडीओ सह निर्वाचन पदाधिकारी) ने पांच उम्मीदवारों के नामांकन को अमान्य घोषित किया। इनमें शशि भूषण सिंह, सदरे आलम, ओमप्रकाश, कृष्ण मोहन झा और गयासुद्दीन शामिल हैं।

अधिकारियों के अनुसार, कई उम्मीदवारों के दस्तावेज अधूरे थे, कुछ के शपथ पत्र खाली मिले, जबकि कुछ के प्रस्तावकों की संख्या तय मानक से कम थी। इन त्रुटियों को निर्वाचन नियमों के तहत गंभीर माना गया, जिसके चलते सभी का नामांकन रद्द कर दिया गया।


महागठबंधन को बड़ा झटका, एनडीए खेमे में जश्न

वीआईपी प्रत्याशी शशि भूषण सिंह का नामांकन रद्द होना महागठबंधन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। वे इस क्षेत्र से पूर्व में विधायक रह चुके हैं और इस बार वीआईपी के टिकट पर मैदान में थे। उनके बाहर हो जाने से एनडीए समर्थित लोजपा (रामविलास) प्रत्याशी राजेश कुमार उर्फ बबलू गुप्ता के लिए रास्ता आसान होता दिख रहा है।

स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस घटनाक्रम के बाद सुगौली सीट पर एनडीए की जीत की संभावनाएं मजबूत हो गई हैं। दूसरी ओर, महागठबंधन के भीतर अब रणनीति को नए सिरे से तैयार करने की कवायद शुरू हो चुकी है।


समीकरण बदलने की अटकलें, वीआईपी के अगले कदम पर नज़रें

राजनीतिक हलकों में अब यह चर्चा है कि वीआईपी पार्टी अगला कदम क्या उठाएगी —
क्या वह किसी निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन देगी या खुद नया प्रत्याशी उतारेगी?
अगर वीआईपी नया दांव खेलती है तो सुगौली का मुकाबला फिर से रोचक हो सकता है।

इस घटनाक्रम के बाद स्थानीय स्तर पर लोजपा (रामविलास) कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया और मिठाइयां बांटीं। वहीं, महागठबंधन खेमे में निराशा का माहौल है।


राजनीतिक निहितार्थ

सुगौली विधानसभा की यह घटना बिहार चुनाव 2025 के पहले चरण की सबसे बड़ी खबरों में से एक बन गई है।
जहां एक ओर एनडीए का मनोबल बढ़ा है, वहीं महागठबंधन के लिए यह रणनीतिक झटका साबित हो सकता है।
अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी इस संकट से कैसे निपटते हैं — और यह फैसला आने वाले दिनों में बिहार की चुनावी तस्वीर को किस दिशा में मोड़ेगा।

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