लखनऊ, उत्तर प्रदेश | 12 जुलाई 2025:
लखनऊ में आज 'भारत में पशु नस्लों का विकास' विषय पर एक महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा भारत सरकार के माननीय केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) ने संयुक्त रूप से कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
पशुधन संरक्षण से आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पशुधन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा:
“पशुधन के संरक्षण से न केवल पशुओं की नस्लों में सुधार होता है, बल्कि इससे पशुपालकों की आय में भी वृद्धि होती है। राज्य सरकार पशुपालकों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही है, जिनके माध्यम से वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।”
उन्होंने यह भी जोर दिया कि परंपरागत पशुपालन के साथ वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है, ताकि देसी नस्लों का संवर्धन हो सके और भारत की जैव विविधता को संरक्षित रखा जा सके।
कार्यशाला का उद्देश्य
इस कार्यशाला का उद्देश्य देश में पशुधन विकास को एक संगठित दिशा देना और स्थानीय पशु नस्लों के संवर्धन को बढ़ावा देना था। इसमें पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और बड़ी संख्या में पशुपालक शामिल हुए।
देसी नस्लों को बढ़ावा देने पर बल
कार्यशाला में देश की पारंपरिक देसी नस्लों जैसे गिर, साहीवाल, थारपारकर, मुर्रा और अन्य पर विशेष चर्चा हुई। वक्ताओं ने इन नस्लों की उपयोगिता, दुग्ध उत्पादन क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता को रेखांकित करते हुए इनके संरक्षण के लिए ठोस रणनीतियों पर विचार प्रस्तुत किया।
मुख्य बिंदु:
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लखनऊ में ‘भारत में पशु नस्लों का विकास’ पर राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह की उपस्थिति
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पशुपालकों की आय बढ़ाने और देसी नस्लों के संवर्धन पर जोर
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सरकार की ओर से पशुपालकों को दी जा रही आर्थिक सहायता का ज़िक्र