पटना/दरभंगा:
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के प्रचार के बीच महागठबंधन (Grand Alliance) में सीट बंटवारे को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। दरभंगा जिले की गौड़ा बौराम सीट पर ऐसी स्थिति बनी है, जहां तेजस्वी यादव को अपनी ही पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के चुनाव चिह्न वाले उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार करना पड़ रहा है।
दरअसल, सीट बंटवारे की प्रक्रिया पूरी होने से पहले आरजेडी ने अफजल अली खान को गौड़ा बौराम सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया था। उन्हें पार्टी का चुनाव चिह्न ‘लालटेन’ और सभी आवश्यक कागजात भी सौंप दिए गए थे। लेकिन बाद में RJD और विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के बीच समझौता हुआ, जिसके तहत यह सीट वीआईपी के खाते में चली गई।
समझौते के बाद वीआईपी ने संतोष सहनी को अपना उम्मीदवार घोषित किया और महागठबंधन के सभी घटक दलों ने उनके समर्थन की घोषणा कर दी। इस बीच, जब आरजेडी नेतृत्व ने अफजल अली से चुनाव से हटने और सिंबल लौटाने की अपील की, तो उन्होंने साफ इनकार कर दिया। उन्होंने आरजेडी के नाम और लालटेन चुनाव चिह्न के साथ आधिकारिक नामांकन दाखिल कर दिया।
अब प्रशासन ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि अफजल अली का नामांकन पूरी तरह वैध है और उन्हें चुनाव से नहीं हटाया जा सकता।
इस स्थिति में अब EVM पर अफजल अली के नाम के सामने आरजेडी का लालटेन चिह्न रहेगा, जबकि महागठबंधन – जिसमें आरजेडी भी शामिल है – वीआईपी प्रत्याशी संतोष सहनी के समर्थन में प्रचार करेगा।
राजनीतिक गलियारों में यह मामला अब चर्चा का केंद्र बना हुआ है, क्योंकि तेजस्वी यादव को पहली बार अपनी ही पार्टी के सिंबल वाले उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार करना पड़ रहा है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस भ्रमपूर्ण स्थिति से महागठबंधन को कितनी चुनावी क्षति होती है और अफजल अली कितने वोट काटते हैं।