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राज्य

पीएम मोदी का उत्तराखंड से गहरा रिश्ता, हर विपदा में देवभूमि के साथ खड़े

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देहरादून, 12 सितंबर 2025 – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड से गहरा और आत्मीय रिश्ता है। वे हर आपदा की घड़ी में देवभूमि के लोगों के साथ खड़े रहते हैं और हर संभव मदद सुनिश्चित करते हैं। चाहे प्राकृतिक आपदाएँ हों या हादसे, पीएम मोदी ने हमेशा सीधे हस्तक्षेप कर राहत कार्यों को प्राथमिकता दी है।

2013 की केदारनाथ आपदा के समय गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने राहत कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाई थी। इसके बाद 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया और इसे पूरा करने के लिए मास्टर प्लान लागू किया। प्रधानमंत्री कार्यालय स्तर से नियमित मॉनिटरिंग सुनिश्चित की गई ताकि काम समय पर और पारदर्शिता से पूरा हो। इसके साथ ही बदरीनाथ धाम मास्टर प्लान को भी प्राथमिकता में शामिल किया गया।

हर विपदा में देवभूमि के साथ

धराली, थराली और उत्तराखंड के कई अन्य जिलों में आई आपदाओं के दौरान प्रधानमंत्री ने स्वयं प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पीड़ितों के बीच पहुँच कर उन्हें भरोसा दिया कि केंद्र सरकार हर संभव मदद प्रदान करेगी।

रैणी हादसे में केंद्र से राहत सामग्री और आर्थिक सहायता समय पर भेजी गई। जोशीमठ आपदा के दौरान प्रधानमंत्री ने पल-पल की जानकारी लेते हुए स्थानीय प्रशासन और राहत कार्यों का नेतृत्व किया। सिलक्यारा टनल हादसे में भी उन्होंने आपदा राहत में कोई कसर नहीं छोड़ी और ग्राउंड जीरो पर अधिकारियों व बचाव दलों को सक्रिय रखा।

मानसूनी आपदा में फिर देवभूमि के साथ

अब जब उत्तराखंड मानसूनी आपदाओं से जूझ रहा है, प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर पीड़ितों से मुलाकात की। उन्होंने दुख और पीड़ा साझा करते हुए भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार हर संभव मदद के लिए तत्पर है। आपदा राहत, पुनर्वास और आवश्यक सुविधाओं के लिए केंद्र से अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं।

न सिर्फ प्रधानमंत्री बनने के बाद, बल्कि पहले से जुड़ाव

विशेषज्ञों का मानना है कि पीएम मोदी का उत्तराखंड से लगाव कोई राजनीतिक बयान नहीं, बल्कि वर्षों का प्रतिबद्ध कार्य है। गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी वे उत्तराखंड की हर समस्या में मदद के लिए तत्पर रहते थे। देवभूमि के लोगों का विश्वास उनके साथ जुड़ाव का प्रमाण है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह संकल्प और सक्रियता न केवल प्रशासनिक जिम्मेदारी का उदाहरण है, बल्कि संकट की घड़ी में नेतृत्व की मिसाल भी प्रस्तुत करता है।

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