पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में नीतीश कुमार ने सोमवार को दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा सहित एनडीए शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री मौजूद रहे।
शपथ ग्रहण के साथ ही इस बार की नई नीतीश कैबिनेट में कई नए चेहरे शामिल किए गए हैं, जिनमें रामकृपाल यादव, लेशी सिंह, संजय सिंह टाइगर सहित अन्य नेता प्रमुख हैं। नए मंत्रियों के आने को लेकर राजनीतिक हलचल तेज है, और इस फैसले की वजह को लेकर जेडीयू ने अपना पक्ष सामने रखा है।
‘नया बिहार बनाने के लिए नए चेहरों की जरूरत थी’ — केसी त्यागी
जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने एनडीए सरकार में नए चेहरों की जरूरत को “बदलते बिहार की आवश्यकता” बताया है। मीडिया से बातचीत में त्यागी ने कहा—
“नीतीश कुमार दसवीं बार बिहार के प्रधान सेवक बने हैं। अब नया और नूतन बिहार बनेगा। इस संकल्प के साथ उन्होंने शपथ ली है। कुछ नए चेहरों को शामिल करना इसलिए जरूरी था ताकि नई ऊर्जा और नई दृष्टि के साथ बिहार को आगे बढ़ाया जा सके।”
त्यागी के अनुसार, कैबिनेट में नए चेहरों को मौका देने का मकसद बिहार के विकास एजेंडा को मजबूत करना और प्रशासनिक तंत्र में नई ऊर्जावान टीम तैयार करना है।
नए चेहरों से ‘नए बिहार’ की उम्मीद
एनडीए सरकार की ओर से लगातार इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि अगले कार्यकाल में विकास, सुशासन और सामाजिक योजनाओं को नई दिशा देने की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि—
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नए चेहरों से सरकार में ताज़गी और नई सोच आती है।
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युवा और अनुभवी नेताओं का मिश्रण कार्यक्षमता बढ़ाता है।
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जनता के बीच नई पहचान वाले नेताओं से राजनीतिक मजबूती मिलती है।
नई कैबिनेट में शामिल किए गए मंत्री आगामी वर्षों में नीतीश कुमार की विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।