मुंबई, 17 सितंबर 2025 – महाराष्ट्र सदन घोटाले से जुड़े मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने दो मुख्य आरोपियों के खिलाफ लगे मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) के आरोप हटा दिए हैं। यह वही मामला है जिसमें राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री छगन भुजबल तथा उनके परिवार का नाम सामने आया था।
यह मामला वर्ष 2005 का है, जब तत्कालीन कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने दिल्ली में नया महाराष्ट्र सदन भवन बनाने का ठेका के.एस. चमंकर एंटरप्राइजेज को दिया था। यह कंपनी प्रमुख आरोपियों कृष्णा और प्रसन्ना चमंकर की बताई जाती है। आरोप था कि बिना किसी निविदा प्रक्रिया के यह ठेका दिया गया, जबकि उस समय लोक निर्माण विभाग (PWD) का जिम्मा छगन भुजबल के पास था। बाद में बीजेपी-शिवसेना की सरकार सत्ता में आई और मामला दर्ज हुआ।
2021 में ट्रायल कोर्ट ने भुजबल और चमंकर बंधुओं को एंटी-करप्शन ब्यूरो के मामले से बरी कर दिया था। इसके बाद, चमंकर भाइयों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA) के तहत दर्ज चार्जशीट को रद्द करने की मांग की।
ईडी की ओर से अधिवक्ता श्रीयश ललित ने दलील दी कि चूंकि जुलाई 2021 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया था, इसलिए PMLA की कार्यवाही जारी रखने का कोई कानूनी आधार नहीं बचता। वहीं, ईडी की वकील मनीषा जगताप ने इसका विरोध करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों के अनुसार आधारभूत अपराध भले ही रद्द हो जाए, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग की कार्यवाही स्वतंत्र रूप से जारी रह सकती है।
हालांकि, न्यायमूर्ति ए.एस. गडकरी और न्यायमूर्ति राजेश एस. पाटिल की खंडपीठ ने कहा, “यदि किसी व्यक्ति को सक्षम न्यायालय द्वारा निर्धारित अपराध से अंतिम रूप से बरी कर दिया गया है, तो उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का कोई मामला नहीं बन सकता।” अदालत ने यह भी कहा कि जुलाई 2021 के बरी किए जाने के आदेश को चार वर्षों तक चुनौती नहीं दी गई और वह अब अंतिम रूप से लागू हो चुका है।
हाईकोर्ट का यह निर्णय महाराष्ट्र सदन घोटाले में शामिल आरोपियों के लिए बड़ी राहत माना जा रहा है। अब अदालत द्वारा आदेशित प्रक्रिया के तहत मामला आगे नहीं बढ़ेगा।