झारखंड में कुड़मी समुदाय के रेल टेका आंदोलन का असर रेलवे सेवाओं पर भारी पड़ा। 20 से 22 सितंबर तक रांची रेल मंडल की 54 ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं, जिससे रेलवे को केवल यात्री ढुलाई से ही लगभग 5 करोड़ 40 लाख रुपये का राजस्व नुकसान हुआ। माल ढुलाई से हुए नुकसान का अलग से आकलन किया जा रहा है।
रेलवे अधिकारियों के मुताबिक आंदोलन के कारण हजारों यात्री स्टेशन पर फंसे रहे। सिर्फ सिल्ली स्टेशन पर ही करीब 52 हजार यात्री प्रभावित हुए। स्थिति को संभालने के लिए यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए मंडल ने 70 विशेष बसों का संचालन किया, जिस पर प्रतिदिन लगभग 1.5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आया।
यात्रियों के लिए विशेष इंतजाम
रांची रेलमंडल ने यात्रियों को बसों से उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए कई रूट तय किए।
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अजमेर–सांतरागाछी स्पेशल के यात्रियों को सिल्ली से घाटशिला बस द्वारा पहुंचाकर मेमू ट्रेन से आगे भेजा गया।
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हटिया–पूर्णिया कोर्ट एक्सप्रेस के लगभग 800 यात्रियों को सिल्ली से बसों द्वारा रांची लाया गया।
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अल्लापुजा–धनबाद एक्सप्रेस के यात्रियों को रांची से बोकारो–धनबाद तक बसों से भेजा गया।
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राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस के यात्रियों के लिए भी विशेष सेवाएं चलाई गईं।
खाना, पानी और बच्चों के लिए दूध तक की सुविधा
डीआरएम कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में सीनियर डीसीएम शुचि सिंह ने बताया कि यात्रियों के लिए शुद्ध शाकाहारी थाली, स्नैक्स, मिनरल वाटर और बच्चों के लिए दूध व बेबी फूड तक की व्यवस्था की गई। करीब 2,500 लोगों के लिए भोजन-पानी उपलब्ध कराया गया। मुरी स्टेशन पर टाटानगर-वंदे भारत ट्रेन के लगभग 200 यात्रियों को खिचड़ी परोसी गई।
रेलवे ने अभी तक कुल राजस्व नुकसान और टिकट रिफंड की अंतिम रिपोर्ट जारी नहीं की है। आंदोलन के कारण हुए व्यवधान ने यात्रियों की यात्रा को न केवल प्रभावित किया बल्कि रेलवे पर आर्थिक और संचालनात्मक दबाव भी बढ़ा दिया।