भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) प्रणाली को लागू हुए सात वर्ष हो चुके हैं, और इस दौरान कर संग्रहण (Revenue Collection) के मोर्चे पर यह प्रणाली लगातार मजबूत होती गई है। वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में जीएसटी कलेक्शन ने एक नया रिकॉर्ड बनाते हुए अब तक का सर्वाधिक वार्षिक संग्रह दर्ज किया है। पिछले पाँच वर्षों में जीएसटी राजस्व में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी देखी गई है, जो देश की आर्थिक मजबूती और संगठित व्यापार क्षेत्र में पारदर्शिता की पुष्टि करता है।
₹20 लाख करोड़ से अधिक का वार्षिक संग्रह
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में कुल जीएसटी संग्रह ₹20.18 लाख करोड़ तक पहुँच गया है, जो कि वित्त वर्ष 2019-20 में दर्ज हुए लगभग ₹10.3 लाख करोड़ से दोगुना से अधिक है। अप्रैल 2025 में ही मासिक जीएसटी कलेक्शन ₹2.10 लाख करोड़ के स्तर को पार कर गया था, जो अब तक का सबसे ऊँचा मासिक आंकड़ा है।
रिकॉर्ड की वजहें
वित्त मंत्रालय ने इस ऐतिहासिक वृद्धि के पीछे कई कारण गिनाए हैं:
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डिजिटल निगरानी प्रणाली (E-invoicing, E-way Bill, डेटा एनालिटिक्स) की मजबूती
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कर अनुपालन में सुधार (Compliance Rate में बढ़ोतरी)
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व्यापार गतिविधियों में तेजी और मुद्रास्फीति का प्रभाव
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फर्जी बिलिंग पर सख्त कार्रवाई और आईटी आधारित ऑडिट सिस्टम
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उद्योगों की फॉर्मलाइजेशन और MSME क्षेत्र का डिजिटलीकरण
राज्यों को मिला बड़ा राजस्व सहयोग
इस बढ़ते संग्रह का लाभ राज्यों को भी मिला है। केंद्र सरकार द्वारा राजस्व में कमी की भरपाई के लिए अब अधिकतर राज्यों को मुआवजा देने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। इससे राज्य अपनी विकास योजनाओं को अधिक स्वतंत्रता और गति से लागू कर पा रहे हैं।
1 जुलाई को जीएसटी दिवस के मौके पर उत्सव
जीएसटी व्यवस्था के सात साल पूरे होने के अवसर पर 1 जुलाई को 'जीएसटी दिवस' मनाया जाएगा। इस अवसर पर केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी, व्यापारी संगठन और कर विशेषज्ञ एक साथ मिलकर इस कर प्रणाली की सफलता का उत्सव मनाएंगे।