नई दिल्ली, जून 30, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 5 से 8 जुलाई 2025 के बीच ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित होने वाले 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक दक्षिण (Global South) के देशों के बीच साझेदारी को गहराने और बहुपक्षीय सहयोग को मजबूत करने पर केंद्रित होगा। प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान ब्रिक्स मंच पर वैश्विक चुनौतियों, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण साझा करेंगे।
ब्रिक्स (BRICS) — ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह — वैश्विक मंच पर विकासशील देशों की आवाज को मजबूत करने की दिशा में काम करता है। इस वर्ष के सम्मेलन की थीम "Global Cooperation for Inclusive Development" रखी गई है, जिसमें सदस्य देशों के साथ-साथ आमंत्रित अतिथि देशों की भी भागीदारी होगी।
पांच देशों की यात्रा का हिस्सा है रियो दौरा
प्रधानमंत्री मोदी की यह ब्राजील यात्रा जुलाई 2025 में होने वाली उनकी बहुप्रतीक्षित पांच देशों की विदेश यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। इस बहुपक्षीय दौरे की शुरुआत 2 और 3 जुलाई को घाना की दो दिवसीय यात्रा से होगी, जो भारत-अफ्रीका सहयोग को मजबूती देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इसके बाद प्रधानमंत्री सेनेगल, पेरू और चिली जैसे अन्य देशों का भी दौरा करेंगे, जहां द्विपक्षीय संबंधों को गहराने, व्यापार और निवेश बढ़ाने तथा विकास संबंधी सहयोग को मजबूत करने पर चर्चा होगी।
ब्रिक्स सम्मेलन में भारत की भूमिका
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका हमेशा से अहम रही है। इस वर्ष भी प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत आर्थिक समावेशन, वैश्विक आपूर्ति शृंखला की स्थिरता, डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना और स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग जैसे मुद्दों को मजबूती से उठाएगा। सूत्रों के अनुसार, पीएम मोदी ब्रिक्स सदस्य देशों के नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकों में भी हिस्सा लेंगे, जिसमें व्यापार, निवेश, रक्षा, तकनीकी सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे विषयों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जुलाई 2025 की यह बहुपक्षीय विदेश यात्रा वैश्विक कूटनीति के लिहाज़ से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। भारत की वैश्विक नेतृत्व भूमिका को और सशक्त करने की दिशा में यह यात्रा कई स्तरों पर नए अवसर और साझेदारियां खोल सकती है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में उनकी भागीदारी से भारत की विदेश नीति को एक नई दिशा मिलने की उम्मीद है।