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भारत आईसीएओ परिषद में पुनः निर्वाचित, वैश्विक नागरिक उड्डयन में नेतृत्व मजबूत

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नई दिल्ली/मॉन्ट्रियल, 30 सितंबर 2025।
भारत को अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) की परिषद के भाग-II के लिए पुनः निर्वाचित किया गया है। यह चुनाव 27 सितंबर 2025 को मॉन्ट्रियल में आईसीएओ के 42वें अधिवेशन के दौरान हुआ। भाग-II में उन देशों को शामिल किया जाता है जो अंतर्राष्ट्रीय नागरिक हवाई नौवहन के क्षेत्र में सबसे बड़ा योगदान देते हैं।

भारत ने वर्ष 2022 की तुलना में इस बार और अधिक वोट हासिल किए, जो देश की नेतृत्व क्षमता और वैश्विक विमानन क्षेत्र में बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।

भारत की तैयारी और समर्थन

2 सितंबर 2025 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने नई दिल्ली में राजदूतों और उच्चायुक्तों के लिए स्वागत समारोह का आयोजन किया, जिसमें नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने भारत की पुनर्निर्वाचन उम्मीदवारी के लिए समर्थन मांगा। विदेश मंत्रालय के निरंतर प्रयास और भारत के प्रतिनिधियों द्वारा सक्रिय समर्थन ने इस सफलता को सुनिश्चित किया।

मॉन्ट्रियल दौरे के दौरान मंत्री नायडू ने द्विपक्षीय बैठकें की और वैश्विक विमानन उद्योग के प्रमुख हितधारकों के साथ चर्चा की। भारत, दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक होने के नाते, विमान घटक निर्माण, एमआरओ और कौशल विकास क्षेत्रों में वैश्विक कंपनियों के लिए आकर्षक बना हुआ है।

आईसीएओ में भारत की भूमिका

आईसीएओ का संस्थापक सदस्य होने के नाते, भारत ने 81 वर्षों से परिषद में निरंतर उपस्थिति बनाए रखी है। परिषद के माध्यम से भारत अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा, स्थिरता, समान हवाई संपर्क, उन्नत तकनीक और नवाचार को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभाता रहा है।

वर्ष 2025 से 2028 के कार्यकाल में भारत की प्रतिबद्धताएँ हैं:

  • अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा और संरक्षा को मजबूत करना

  • वैश्विक हवाई संपर्क में समान वृद्धि को बढ़ावा देना

  • उन्नत प्रौद्योगिकी और नवाचार को अपनाना

  • आईसीएओ की 'कोई देश पीछे न छूटे' पहल का समर्थन

आईसीएओ परिषद की संरचना

हर तीन वर्ष में आयोजित आईसीएओ सभा में 193 सदस्य देश शामिल होते हैं। सभा द्वारा चुनी गई 36 सदस्यीय परिषद तीन साल के कार्यकाल के लिए संगठन की शासी निकाय के रूप में कार्य करती है।

भारत की इस पुनः निर्वाचनी सफलता से वैश्विक नागरिक उड्डयन में उसकी सक्रिय और नेतृत्वकारी भूमिका और भी मजबूत हुई है।

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