हैदराबाद। रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत का रक्षा निर्यात आने वाले वर्षों में नई ऊंचाइयों को छुएगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2029 तक भारत का रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये को पार कर जाएगा। श्री सिंह शनिवार को जैन इंटरनेशनल ट्रेड कम्युनिटी (JITO) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत का रक्षा निर्यात 2014 में लगभग 600 करोड़ रुपये से बढ़कर आज 24,000 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है। उन्होंने कहा कि यह भारत की आत्मनिर्भरता और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान की सफलता का परिणाम है।
“भारत ने कभी अपने गौरव पर समझौता नहीं किया”
रक्षा मंत्री ने 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक, 2019 की बालाकोट एयर स्ट्राइक और आगामी ऑपरेशन सिंदूर (2025) का उल्लेख करते हुए कहा कि यह भारत की अपने नागरिकों और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
उन्होंने कहा, “जब भी भारत का गौरव और सम्मान दांव पर लगा, हमने कभी समझौता नहीं किया। आतंकवादियों का धर्म नहीं देखा — हमने आतंक को निशाना बनाया, न कि निर्दोषों को।”
आत्मनिर्भर भारत की मजबूत छलांग
श्री सिंह ने बताया कि आज भारत के सशस्त्र बल तेजस लड़ाकू विमान, आकाश मिसाइल और अर्जुन टैंक जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्मों से सुसज्जित हो रहे हैं।
उन्होंने हाल ही में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) से 97 हल्के लड़ाकू विमानों की खरीद का जिक्र करते हुए कहा कि इनमें 64% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है।
“आज भारत खिलौनों से लेकर टैंकों तक सब कुछ बनाता है। भारत तेजी से दुनिया का मैन्युफैक्चरिंग हब बन रहा है, और वह दिन दूर नहीं जब भारत ‘दुनिया की फैक्ट्री’ कहलाएगा,” रक्षा मंत्री ने कहा।
भारत की अर्थव्यवस्था लगातार प्रगति पर
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत इस समय दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर जीडीपी के साथ तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।
उन्होंने आईएमएफ (IMF) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि क्रय शक्ति समता (PPP) के आधार पर भारत 2038 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है।
जैन विरासत और भगवान महावीर के उपदेशों से प्रेरणा
राजनाथ सिंह ने डॉ. विक्रम साराभाई, डॉ. डी.एस. कोठारी, डॉ. जगदीश चंद्र जैन और डॉ. मीनाक्षी जैन जैसी महान जैन हस्तियों के योगदान को याद किया।
उन्होंने बताया कि सरकार ने अब तक 20 से अधिक जैन तीर्थंकर मूर्तियों की विदेशों से वापसी कराई है और जैन धर्मग्रंथों की प्राकृत भाषा को भारत की शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने की दिशा में कदम उठाया है।
उन्होंने नागरिकों से अहिंसा, सत्य और अपरिग्रह जैसे जैन सिद्धांतों को जीवन में अपनाने का आग्रह किया और कहा कि “भारत जब 2047 में एक विकसित राष्ट्र बनेगा, तब भगवान महावीर के आदर्श हमारी प्रेरणा बनेंगे।”