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गोल्डन डोम: ट्रंप का अगली पीढ़ी का मिसाइल डिफेंस सिस्टम, S-400 से कितना अलग और कितना आगे?

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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वैश्विक सुरक्षा संतुलन को एक नए युग में ले जाने वाला प्रोजेक्ट लॉन्च किया है—गोल्डन डोम। 175 अरब डॉलर की लागत से बनने वाला यह मिसाइल डिफेंस सिस्टम न केवल अमेरिका की हवाई सीमा को अजेय बनाएगा, बल्कि बैलिस्टिक, हाइपरसोनिक और क्रूज मिसाइलों को अंतरिक्ष से ही निष्क्रिय करने में सक्षम होगा।

क्या है गोल्डन डोम?

गोल्डन डोम एक स्पेस-बेस्ड, मल्टी-लेयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। यह दुनिया भर से आने वाली मिसाइलों, ड्रोन और एआई-आधारित खतरों का मुकाबला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें हजारों सैटेलाइट्स, लेजर हथियार, और AI-संचालित सेंसर का इस्तेमाल होगा, जो इसे 360-डिग्री कवरेज और रियल-टाइम इंटरसेप्शन की शक्ति प्रदान करेगा।

S-400 से कैसे अलग है गोल्डन डोम?

जहां S-400 एक ग्राउंड-बेस्ड डिफेंस सिस्टम है जो 400 किलोमीटर तक की दूरी की मिसाइलों को रोक सकता है, वहीं गोल्डन डोम की पहुंच और कार्यक्षमता कहीं अधिक व्यापक है। यह लंबी दूरी की, हाइपरसोनिक और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBMs) को भी नष्ट करने में सक्षम होगा।

मुख्य अंतर:

  • S-400: ग्राउंड-बेस्ड, शॉर्ट से मीडियम रेंज तक

  • गोल्डन डोम: स्पेस-बेस्ड, लॉन्ग रेंज और मल्टी थ्रेट इंटरसेप्शन

  • S-400: सीमित रडार कवरेज

  • गोल्डन डोम: AI और सैटेलाइट से संचालित वैश्विक कवरेज

    ट्रंप की रणनीति: खतरे की पहचान और भविष्य की तैयारी

    डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में इस प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। लॉन्चिंग के मौके पर उन्होंने कहा, "मैंने अमेरिकी नागरिकों से वादा किया था कि हम उन्हें हर विदेशी मिसाइल हमले से बचाएंगे। अब हम उस दिशा में निर्णायक कदम उठा चुके हैं।"

    क्या है भारत का अनुभव?

    S-400 अभी की दुनिया का उच्च श्रेणी का मिसाइल डिफेंस सिस्टम है. इसे रूस ने विकसित किया है. भारत इसी मिसाइल सिस्टम को इस्तेमाल कर रहा है. यह मुख्य रूप से ग्राउंड-बेस्ड है और शॉर्ट-टू-मीडियम रेंज (400 किमी तक) की मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है, जबकि गोल्डन डोम एक स्पेस-बेस्ड, मल्टी-लेयर सिस्टम है जो लॉन्ग-रेंज, हाइपरसोनिक, और बैलिस्टिक मिसाइलों सहित किसी भी दिशा से आने वाले खतरों को नष्ट करने में सक्षम होगा. गोल्डन डोम हजार से ज्यादा सैटेलाइट्स, लेजर हथियार, और AI-आधारित सेंसर का उपयोग करेगा, जिससे यह 360-डिग्री थ्रेट डिटेक्शन और इंटरसेप्शन देगा. जबकि S-400 की क्षमता सीमित है और ग्राउंड-बेस्ड रडार पर निर्भर है. ट्रंप की चुनौतियां क्या है?

    वैश्विक हथियार होड़ में नया अध्याय?

    गोल्डन डोम के ऐलान के साथ ही यह आशंका भी तेज हो गई है कि दुनिया एक नई हथियारों की दौड़ की ओर बढ़ रही है। चीन और रूस जैसे देश अमेरिका की इस पहल का जवाब अपनी मिसाइल तकनीकों को और उन्नत करके दे सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे वैश्विक सामरिक संतुलन प्रभावित हो सकता है।

    नेतृत्व और भविष्य की राह

    इस महाकाय प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी अमेरिका की स्पेस फोर्स के जनरल माइकल गुटेलिन को सौंपी गई है। गोल्डन डोम, भविष्य के AI-आधारित खतरों, ड्रोन हमलों और साइबर-भौतिक युद्धों से निपटने के लिए अमेरिका का सबसे बड़ा कवच बनने की दिशा में अग्रसर है।

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