फतेहपुर (उत्तर प्रदेश): जिले के आबूनगर रेड्डया इलाके में स्थित नवाब अब्दुल समद के मकबरे को लेकर धार्मिक और राजनीतिक विवाद गहराता जा रहा है। हिंदू संगठनों का दावा है कि यह स्थल सदियों पुराना ठाकुरद्वारा शिव मंदिर है, जिसे समय के साथ मकबरे में बदल दिया गया। वहीं, मुस्लिम समुदाय इसे ऐतिहासिक मकबरा मानते हुए पूजा-अर्चना का विरोध कर रहा है।
सोमवार को स्थिति तब बिगड़ गई जब बड़ी संख्या में हिंदूवादी संगठन के कार्यकर्ता किलेबंदी तोड़कर परिसर में घुस गए, तोड़फोड़ की, भगवा झंडा फहराया और हनुमान चालीसा का पाठ किया। इस दौरान मौके पर पहुंचे मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ कई बार झड़प और पथराव हुआ। पुलिस और PAC ने कड़ी मशक्कत के बाद हालात पर काबू पाया।
राजनीति में तकरार
घटना के बाद राजनीति भी गर्मा गई।
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अखिलेश यादव (सपा अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री) ने इसे भाजपा की साजिश बताते हुए कहा कि “जब भाजपा की पोल खुलती है, तो वह सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करती है।”
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ब्रजेश पाठक (उपमुख्यमंत्री, यूपी) ने पलटवार करते हुए सपा पर समाज को बांटने का आरोप लगाया और कहा कि “बीजेपी सभी के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और फतेहपुर में कानून व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में है।”
विवाद की पृष्ठभूमि
मंदिर मठ संरक्षण संघर्ष समिति ने 7 अगस्त को डीएम को ज्ञापन देकर इस स्थल को ठाकुरद्वारा मंदिर घोषित करने की मांग की थी। समिति का आरोप है कि बिना अनुमति यहां मजारें स्थापित की गईं और रंग-रोगन कर स्वरूप बदला गया। समिति के सदस्य धनंजय द्विवेदी के अनुसार, सोमवार को स्थल की सफाई और पूजा के दौरान विरोध हुआ, जिससे विवाद बढ़ गया।
प्रशासनिक कार्रवाई
पुलिस ने इस मामले में BJP नेताओं समेत 10 नामजद और करीब 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। इलाके में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तैनात है और प्रशासन ने शांति बनाए रखने की अपील की है।