बिहार में बारिश और बाढ़ की स्थिति अब भी गंभीर बनी हुई है। गंगा नदी का जलस्तर कई जगहों पर घटा है, लेकिन बाढ़ से जनजीवन पूरी तरह प्रभावित है। गुरुवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हेलीकॉप्टर से गंगा किनारे स्थित बाढ़ग्रस्त जिलों का एरियल सर्वे किया। इस दौरान उनके साथ आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव और वरीय अधिकारी मौजूद थे।
मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का जायजा लेने के बाद अधिकारियों को राहत और आपदा प्रबंधन कार्य तेज़ करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि फसल क्षति का मुआवजा किसानों तक तुरंत पहुंचाया जाए और प्रभावित इलाकों में संवेदनशीलता के साथ मदद सुनिश्चित की जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि नदियों के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड पर रहे।
सीएम ने यह भी निर्देश दिया कि बाढ़ से क्षतिग्रस्त सड़कों का पुनर्निर्माण पथ निर्माण विभाग और ग्रामीण कार्य विभाग प्राथमिकता से करें ताकि आवागमन बहाल हो सके।
इससे पहले बुधवार को मुख्यमंत्री ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बाढ़ राहत कार्यों की उच्चस्तरीय समीक्षा की थी। बैठक में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, आपदा प्रबंधन मंत्री विजय कुमार मंडल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार समेत कई वरिष्ठ अधिकारी और प्रभावित जिलों के डीएम जुड़े थे।
10 जिलों में 25 लाख से अधिक लोग प्रभावित
आपदा प्रबंधन विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत के अनुसार, गंगा नदी के किनारे के 10 जिले विशेष रूप से बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें 54 प्रखंडों की 348 पंचायतों की लगभग 25 लाख आबादी प्रभावित है। राहत एवं बचाव कार्य के लिए एनडीआरएफ की 7 और एसडीआरएफ की 9 टीमें तैनात हैं। साथ ही 60 मोटर बोट और 1,233 नावें लगातार सेवा में लगी हैं।
अब तक 52,573 पॉलीथीन शीट और 1,800 सूखा राशन पैकेट जरूरतमंद परिवारों में बांटे जा चुके हैं। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि राहत कार्य लगातार जारी रहेंगे और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।