इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता टेस्ला (Tesla) अब भारत में अपने पहले शोरूम की शुरुआत करने जा रही है। 15 जुलाई को मुंबई में टेस्ला अपने पहले शोरूम का उद्घाटन करेगी। लेकिन भारत में एंट्री से पहले ज़रूरी है टेस्ला की उस संघर्ष भरी कहानी को समझना, जो एक दौर में दिवालिया होने की कगार पर थी।
जब टेस्ला डूबने वाली थी, और मस्क रातों में चिल्लाते थे
साल 2008 की वैश्विक मंदी के दौरान, जब लेहमन ब्रदर्स और जनरल मोटर्स जैसी दिग्गज कंपनियां गिर रही थीं, टेस्ला भी अस्तित्व बचाने की जद्दोजहद में थी।
कंपनी ने ग्राहकों से कार की बुकिंग के पैसे पहले ही खर्च कर दिए थे, और कर्मचारियों को सैलरी देने के पैसे नहीं बचे थे।
एलन मस्क (Elon Musk) ने व्यक्तिगत रूप से कर्ज लेकर कंपनी को बचाने की कोशिश की। उनकी पूर्व पार्टनर तालुलाह रिले के अनुसार,
"वो खुद से बात करते थे, हाथ फैलाकर चिल्लाते थे। नींद में भी चिल्लाते और घबराकर उठ जाते थे। हमें लगता था कि उन्हें कभी भी दिल का दौरा पड़ सकता है।"
लेकिन आज टेस्ला दुनिया की सबसे बड़ी EV कंपनी है
आज वही टेस्ला, जिसकी शुरुआत बेहद कठिन हालातों में हुई थी, दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माता कंपनी बन चुकी है। और अब वह भारत जैसे बड़े बाजार में कदम रखने जा रही है।
टेस्ला की शुरुआत: मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग से
टेस्ला की कहानी 2003 में दो इंजीनियर्स — मार्टिन एबरहार्ड और मार्क टारपेनिंग से शुरू हुई। दोनों ने पहले रॉकेट ई-बुक रीडर बनाया था और पर्यावरण के प्रति अपनी चिंता के चलते इलेक्ट्रिक कार बनाने की ठानी।
उन्होंने देखा कि लीथियम-आयन बैटरियां, जिनका इस्तेमाल उन्होंने ई-बुक रीडर में किया था, कारों में क्रांति ला सकती हैं। इसी आइडिया पर AC Propulsion नामक एक छोटी कंपनी की मदद से एक प्रोटोटाइप तैयार किया गया — यही आगे चलकर Tesla Roadster बना।
एलन मस्क की एंट्री: निवेश से चेहरा बनने तक
एलन मस्क टेस्ला के संस्थापक नहीं थे, लेकिन 2004 में उन्होंने इसमें 6.5 मिलियन डॉलर (~56 करोड़ रुपये) का निवेश किया और चेयरमैन बन गए।
उनकी मुलाकात इंजीनियर जेबी स्ट्रॉबेल से हुई, जिन्होंने उन्हें AC Propulsion की इलेक्ट्रिक गाड़ियों से परिचित कराया।
हालांकि AC Propulsion ने मस्क के साथ प्रोडक्शन का आइडिया ठुकरा दिया, लेकिन CEO टॉम गेज ने मस्क को मार्टिन एबरहार्ड से मिलवाया, जिससे टेस्ला में मस्क की एंट्री हुई।
लेकिन बाद में मस्क ने एबरहार्ड को कर दिया बाहर
कंपनी की रणनीतियों को लेकर मतभेद बढ़ते गए और एक समय ऐसा आया जब टेस्ला से मार्टिन एबरहार्ड को बाहर कर दिया गया।
मस्क धीरे-धीरे टेस्ला का चेहरा और मुख्य निर्णयकर्ता बनते गए।
अब भारत में टेस्ला की एंट्री: 15 जुलाई को पहला शोरूम मुंबई में
अब टेस्ला भारत में अपनी मौजूदगी दर्ज कराने जा रही है।
कंपनी 15 जुलाई 2025 को मुंबई में अपना पहला शोरूम लॉन्च करेगी। इसके साथ ही भारत में टेस्ला की गाड़ियाँ सीधे ग्राहकों को उपलब्ध हो सकेंगी।