तेहरान/वॉशिंगटन/न्यूयॉर्क। पश्चिम एशिया में तनाव एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुका है। ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के बीच, अमेरिका ने भी ईरानी परमाणु केंद्रों पर हवाई हमले किए हैं। इन हमलों को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान चर्चा में है। उन्होंने कहा है कि ईरान के परमाणु केंद्रों को भारी क्षति पहुंची है और साथ ही ईरान में शासन परिवर्तन के भी संकेत दिए हैं।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'Truth Social' पर लिखा –
"अगर मौजूदा ईरानी शासन, ईरान को दोबारा महान नहीं बना सकता, तो शासन परिवर्तन क्यों नहीं?"
उन्होंने अपने पुराने नारे MAGA (Make America Great Again) की तर्ज पर नया नारा दिया:
“MIGA – Make Iran Great Again”
ईरान पर अमेरिका का बड़ा हमला – यूरेनियम केंद्र निशाने पर
ईरान ने अभी तक अमेरिकी हमलों में हुए नुकसान का आधिकारिक विवरण साझा नहीं किया है, लेकिन अमेरिकी रक्षा सूत्रों और सैटेलाइट विश्लेषणों के अनुसार:
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हमलों से पहले ईरान ने इस्फहान स्थित परमाणु केंद्र के पास बनी सुरंगों को मिट्टी से भर दिया था।
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'इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी' द्वारा जारी सैटेलाइट चित्रों में दिखाया गया है कि सुरंगों के एंट्री गेट को निशाना बनाया गया।
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इस हमले में फोर्दो, नतांज और इस्फहान जैसे संवेदनशील केंद्रों को नुकसान पहुंचा है।
इजरायल की प्रतिक्रिया – “अब खतरा खत्म हुआ”
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में इजरायल के राजदूत डैनी डैनन ने कहा:
“ईरान ने वर्षों तक कूटनीति का मजाक उड़ाया। अमेरिका के हमले से अब परमाणु आपदा का खतरा खत्म हुआ है। दुनिया को सुनिश्चित करना होगा कि ईरान फिर से खतरा न बने।”
महासचिव की चेतावनी – 'एक और युद्ध की तरफ न बढ़ें'
यूएन महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने चेतावनी दी कि यह स्थिति क्षेत्र को विनाश के और करीब ले जा रही है।
“परमाणु प्रतिष्ठानों पर बमबारी एक खतरनाक मोड़ है। हम विनाश के दलदल में उतरने का जोखिम नहीं उठा सकते।”
क्या है आगे की राह?
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अमेरिका हमले के बाद वैश्विक स्तर पर तनाव और अस्थिरता बढ़ी है
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ट्रंप के 'MIGA' बयान से ईरान में राजनीतिक भूचाल की संभावना बढ़ी
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अब निगाहें इस बात पर हैं कि ईरान कूटनीति का रास्ता अपनाता है या जवाबी हमला
डोनाल्ड ट्रंप का ‘Make Iran Great Again’ नारा केवल शब्दों तक सीमित नहीं लगता। यह बयान उस भू-राजनीतिक संदेश का हिस्सा है, जो मध्य पूर्व में बड़े बदलाव की भूमिका रच सकता है। अब देखना होगा कि ईरान, अमेरिका और इजरायल – तीनों देश टकराव की राह पर चलते हैं या समाधान की।