बॉलीवुड के मशहूर फिल्ममेकर करण जौहर की छवि को सोशल मीडिया पर अश्लील मीम्स, डीपफेक वीडियो और आपत्तिजनक सामग्री से बदनाम करने के प्रयासों के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त कदम उठाया है। कोर्ट ने इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब, पिंटरेस्ट और गूगल जैसी प्लेटफॉर्म्स को निर्देश दिया कि वे बिना अनुमति के बनाई गई ऐसी सामग्री को तुरंत हटा दें।
मामला क्या है
करण जौहर ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि उनकी तस्वीरों, आवाज और पहचान का इस्तेमाल बिना अनुमति के अश्लील और अपमानजनक सामग्री बनाने के लिए किया जा रहा है। इनमें एआई तकनीक से बनाए गए डीपफेक वीडियो, मोर्फ्ड इमेज और चैटबॉट्स भी शामिल हैं। उनका कहना था कि यह उनकी प्रतिष्ठा और ब्रांड वैल्यू को नुकसान पहुंचा रहा है।
कोर्ट का आदेश
17 सितंबर को जस्टिस मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने 31 पेज के आदेश में स्पष्ट किया कि पिंटरेस्ट, गूगल और मेटा पर मौजूद वीडियो, मीम्स और पोस्ट्स में अपमानजनक और अश्लील सामग्री है, जो याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा रही है। कोर्ट ने 100 से अधिक यूआरएल्स को हटाने का आदेश दिया और कहा कि इसे ‘उचित टिप्पणी’ या ‘ह्यूमर’ के दायरे में नहीं रखा जा सकता।
साथ ही, बिना करण की सहमति के उनके नाम, तस्वीर, आवाज या उपनाम 'KJo' का इस्तेमाल किसी माल बेचने, अश्लील सामग्री बनाने या एआई चैटबॉट्स और GIF बनाने के लिए प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि, उनके सिग्नेचर स्टाइल टूड्ल्स के इस्तेमाल पर अंतरिम रोक लगाने से कोर्ट ने इनकार किया। अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
प्लेटफॉर्म्स का विरोध
मेटा और गूगल के वकीलों ने तर्क दिया कि कुछ सामग्री व्यंग्य, पैरोडी या हास्य की श्रेणी में आती है। हालांकि, कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया और करण जौहर के पक्ष में फैसला सुनाया।
पिछले मिसालें
दिल्ली हाई कोर्ट ने इससे पहले ऐश्वर्या राय बच्चन, अभिषेक बच्चन, जैकी श्रॉफ, अनिल कपूर और अमिताभ बच्चन के व्यक्तित्व अधिकारों की भी सुरक्षा की थी। अनिल कपूर के मामले में उनकी मशहूर डायलॉग ‘झकास’ के दुरुपयोग पर भी रोक लगाई गई थी।