त्रिपुरा/गुवाहाटी/नई दिल्ली | 11 जून 2025:
अमरनाथ यात्रा ड्यूटी पर जा रहे बीएसएफ (BSF) के 1200 जवानों को नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NFR) द्वारा दी गई ट्रेन की बदहाल हालत पर नाराज़गी जतानी पड़ी। सीटों पर गद्दी नहीं थी, टॉयलेट टूटे हुए थे, डिब्बों में गंदगी और काकरोच भरे पड़े थे। जवानों ने ट्रेन में सवार होने से इनकार कर दिया। इस मामले के तूल पकड़ने के बाद रेलवे ने 5 दिन के भीतर कार्रवाई करते हुए 4 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।
ट्रेन की हालत देख जवानों ने किया इनकार
घटना 6 जून की है, जब बीएसएफ के जवानों को त्रिपुरा से अमरनाथ यात्रा ड्यूटी के लिए जम्मू-कश्मीर रवाना होना था। लेकिन रेलवे द्वारा मुहैया कराई गई ट्रेन की स्थिति बेहद खराब थी। जवानों के अनुसार, ट्रेन के कोचों में कई खिड़कियां और दरवाजे टूटे हुए थे। कई डिब्बों में बिजली नहीं थी, बल्ब नदारद थे और टॉयलेट्स पूरी तरह जर्जर थे।
सोशल मीडिया पर ट्रेन का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें सीटों पर गद्दी नहीं है, टॉयलेट फटे हुए हैं और फर्श पर काकरोच रेंगते दिखाई दे रहे हैं।
कंपनी कमांडर ने की जांच, कहा – महीनों से नहीं हुआ इस्तेमाल
बीएसएफ के कंपनी कमांडर द्वारा ट्रेन का निरीक्षण करने के बाद जवानों को बोर्डिंग से रोक दिया गया। अधिकारियों ने बताया कि जिन कोचों की व्यवस्था की गई थी, वे लंबे समय से उपयोग में नहीं आए थे। डिब्बों में जगह-जगह टूटा सामान, गंदगी और तकनीकी खामियां पाई गईं।
रेलवे ने मानी गलती, दी दूसरी ट्रेन
रेल मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि जवानों की आपत्ति के बाद संबंधित ट्रेन को रद्द कर दिया गया। इसके स्थान पर 10 जून को एक नई ट्रेन की व्यवस्था की गई और जवानों को रवाना किया गया। नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर पुष्टि की कि यह चूक बेहद गंभीर थी और इससे सुरक्षा बलों की गरिमा को ठेस पहुंची।
जिम्मेदार अफसरों पर गिरी गाज
रेल मंत्रालय ने इस पूरे प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए लापरवाही बरतने के आरोप में 4 रेलवे अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
पृष्ठभूमि
अमरनाथ यात्रा देश की सबसे संवेदनशील तीर्थ यात्राओं में से एक मानी जाती है, जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी बीएसएफ, CRPF और स्थानीय पुलिस बलों पर होती है। ऐसे में जवानों को सुरक्षित और सम्मानजनक यात्रा सुविधा उपलब्ध कराना बेहद आवश्यक है।