छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश, 1 अक्टूबर 2025।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से एक चिंताजनक घटना सामने आई है, जिसमें 4 से 26 सितंबर के बीच छह बच्चों की किडनी फेल होने से मौत हो गई। प्रारंभिक जांच में यह संकेत मिला है कि इन मौतों से जुड़े मामलों में कुछ कफ सिरप और अन्य दवाइयां भूमिका निभा सकती हैं। केंद्रीय और राज्य सरकार की टीमें मामले की गहराई से जांच कर रही हैं।
घटना का क्रम
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. नरेश गुन्नाडे के अनुसार, अगस्त के अंत में बच्चों में पहले सामान्य सर्दी, खांसी और बुखार के लक्षण दिखे। 22 अगस्त से परासिया क्षेत्र में बुखार की शिकायतें बढ़ीं, जिसके बाद मौतें रिपोर्ट होने लगीं। 4 से 7 सितंबर के बीच तीन बच्चों की मौत नागपुर के एक निजी अस्पताल में हुई। शुरुआती जांच में पता चला कि बच्चों को पहले छिंदवाड़ा के निजी अस्पतालों में भर्ती किया गया था और बाद में गंभीर हालत में नागपुर रेफर किया गया।
बाद में तीन और बच्चों की मौत हुई। कुल मिलाकर 4 से 26 सितंबर के बीच छह बच्चों की मौत किडनी फेल होने की वजह से हुई।
कफ सिरप और अन्य दवाइयों पर रोक
डॉ. गुन्नाडे ने स्पष्ट किया कि यह कोई संक्रामक बीमारी नहीं है, बल्कि जांच का विषय है। इसके मद्देनजर, अधिकारियों ने मृत बच्चों के घरों से मिली कफ सिरप और अन्य दवाइयों के इस्तेमाल पर तुरंत प्रतिबंध लगा दिया है। इन दवाइयों के नमूने जांच के लिए लैब भेजे गए हैं।
अन्य प्रभावित बच्चे और इलाज
इस किडनी समस्या से पीड़ित पांच अन्य बच्चों को इलाज के लिए नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में रेफर किया गया है।
केंद्रीय टीमें जांच में जुटी
इस गंभीर मामले की जांच के लिए नेशनल सेंटर फॉर कंट्रोल ऑफ डिजीज (NCDC) और राज्य स्तरीय एकीकृत रोग निगरानी परियोजना (IDSP) की टीमें मौके पर पहुंची हैं। टीमों ने बच्चों के ब्लड सैंपल, पानी के नमूने और अन्य संबंधित नमूने इकट्ठा कर जांच के लिए लैब भेजे हैं। डॉ. गुन्नाडे ने बताया कि कुछ ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट आ चुकी हैं, लेकिन इनमें कोई गंभीर निष्कर्ष नहीं निकला है।