पटना:
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के संस्थापक लालू प्रसाद यादव एक बार फिर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने जा रहे हैं। यह लगातार 13वीं बार होगा जब वह इस पद पर काबिज होंगे। हालांकि यह महज एक औपचारिकता भर रह गई है, क्योंकि उनके निर्विरोध निर्वाचित होने का रास्ता पहले ही साफ हो चुका है। पार्टी की ओर से इसकी आधिकारिक ताजपोशी 5 जुलाई को तय की गई है।
सोमवार को लालू यादव ने आरजेडी के प्रदेश कार्यालय में पहुंचकर राष्ट्रीय निर्वाचन पदाधिकारी रामचंद्र पूर्वे के समक्ष अपना नामांकन दाखिल किया। इस प्रक्रिया के बाद यह स्पष्ट हो गया कि लालू प्रसाद यादव ही एक बार फिर पार्टी की बागडोर संभालेंगे।
लालू की ताजपोशी के मायने
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र लालू यादव का एक बार फिर पार्टी की कमान संभालना कई मायनों में अहम है।
हालांकि पार्टी में तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जा चुका है, लेकिन रणनीतिक संतुलन और वोट बैंक की एकजुटता बनाए रखने के लिए नेतृत्व लालू के पास ही रहेगा।
2020 के विधानसभा चुनाव में तेजस्वी यादव ने पूरी चुनावी कमान संभाली थी। पोस्टर-बैनर में लालू की जगह तेजस्वी को प्रमुखता दी गई थी, लेकिन तब भी महागठबंधन सरकार बनाने से चूक गया। इसके बाद पार्टी नेतृत्व ने यह महसूस किया कि भले ही चेहरा तेजस्वी हों, लेकिन संगठन की कमान लालू के पास रहना ही स्थिरता और राजनीतिक संतुलन के लिए ज़रूरी है।
पार्टी में अब भी सबसे बड़ा भरोसा लालू पर
RJD के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच लालू यादव आज भी एक करिश्माई नेता और स्वीकार्य चेहरा हैं। तेजस्वी यादव के उभार के बावजूद पार्टी का बड़ा वर्ग अभी भी लालू के नेतृत्व को ही प्राथमिकता देता है। यही वजह है कि RJD के भीतर नेतृत्व परिवर्तन का जोखिम उठाने को कोई तैयार नहीं है – खुद लालू यादव भी नहीं।
सेहत पर सवाल, लेकिन नेतृत्व पर भरोसा बरकरार
हाल ही में 78वां जन्मदिन मना चुके लालू यादव की सेहत अब भी पूरी तरह ठीक नहीं है। ऐसे में चुनावी अभियानों में उनकी भूमिका सीमित हो सकती है। इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें फिर से अध्यक्ष चुनने का निर्णय लिया है, जो इस बात का संकेत है कि आने वाले चुनावों में भी लालू यादव की सियासी हैसियत बरकरार रहेगी।