देहरादून। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की नई रिपोर्ट ने उत्तराखंड को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। लैंडस्लाइड एटलस ऑफ इंडिया 2024 के मुताबिक, राज्य का रुद्रप्रयाग जिला देश का सबसे अधिक भूस्खलन प्रभावित क्षेत्र बन गया है। 2023 में भी रुद्रप्रयाग शीर्ष पर था और इस साल भी इसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है। टिहरी गढ़वाल दूसरे स्थान पर है, जबकि केरल का त्रिशूर जिला तीसरे नंबर पर दर्ज किया गया है।
रुद्रप्रयाग में 51 डेंजर जोन, 13 नए क्षेत्र शामिल
ISRO की रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग को अत्यंत संवेदनशील जोन के रूप में चिन्हित किया गया है। यहां भूगर्भीय बदलाव लगातार तेज़ी से हो रहे हैं। केदारनाथ हाईवे पर विशेष रूप से खतरा गहराता जा रहा है। जिले में 51 डेंजर जोन पहले से मौजूद थे और इस साल 13 नए भू-धंसाव प्रभावित जोन भी सामने आए हैं। जवाड़ी बाईपास के तीन प्रमुख स्थानों पर गहरा भू-धंसाव दर्ज किया गया है, जहां केवल अस्थायी उपचार चल रहे हैं।
विशेषज्ञों की चेतावनी
राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण विभाग (लोनिवि) के अधिशासी अभियंता ओंकार पांडेय ने बताया कि भूगर्भीय विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि जिले में हो रहे तेज़ भूस्खलन और भू-धंसाव से भारी जनहानि का खतरा बना हुआ है।
गढ़वाल विश्वविद्यालय के भूवैज्ञानिक डॉ. एसपी सती का कहना है कि हिमालयी क्षेत्र में लंबी दरारों और मंदाकिनी घाटी में तिब्बत की ओर बढ़ते दबाव से भूस्खलन की घटनाएं बढ़ रही हैं। बड़े पैमाने पर हो रहे निर्माण कार्य इस खतरे को और गंभीर बना सकते हैं।
आपदा प्रबंधन पर जोर
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि हालात को देखते हुए सुरक्षा और आपदा प्रबंधन के कड़े कदम उठाने जरूरी हैं। समय रहते ठोस उपाय नहीं किए गए तो आने वाले समय में रुद्रप्रयाग समेत पूरे उत्तराखंड में बड़े हादसे और जनहानि की संभावना बनी रहेगी।
ISRO की यह रिपोर्ट एक बार फिर हिमालयी राज्यों में संतुलित विकास और पर्यावरण संरक्षण की जरूरत को रेखांकित करती है।