उत्तरकाशी, 13 अगस्त 2025 — उत्तरकाशी के धराली में आपदा के बाद लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है, लेकिन खतरे की चेतावनी देने के लिए अब भी परंपरागत सीटी पर ही भरोसा किया जा रहा है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों की सुरक्षा के लिए बनाए गए इस अस्थायी वार्निंग सिस्टम के तहत दो जवान खीर गंगा के ऊपरी क्षेत्रों में तैनात किए गए हैं। ये जवान खतरे की आशंका होने पर सीटी बजाकर नीचे मौजूद बचाव दल और लोगों को सतर्क करते हैं।
आधुनिक वार्निंग सिस्टम अभी अधूरा
आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्तराखंड सरकार और विभाग की ओर से कई बार अत्याधुनिक वार्निंग सिस्टम विकसित करने के दावे किए गए हैं। हालांकि, धरातल पर इन योजनाओं का क्रियान्वयन अब तक नहीं हो पाया है। परिणामस्वरूप, धराली जैसे संवेदनशील इलाकों में बचाव कार्य के दौरान भी प्राथमिक चेतावनी के लिए सीटी का सहारा लेना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों की चिंता
आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों का कहना है कि तकनीकी रूप से उन्नत अलर्ट सिस्टम की अनुपस्थिति न केवल रेस्क्यू ऑपरेशन की गति को प्रभावित करती है, बल्कि मौके पर मौजूद टीमों और प्रभावित लोगों की सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा करती है। उनका मानना है कि इस तरह के मैनुअल सिस्टम पर पूरी तरह निर्भर रहना लंबे समय तक कारगर नहीं होगा।