चंडीगढ़। देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव लाने की दिशा में केंद्र सरकार नया संविधान संशोधन बिल लाने जा रही है। इस बिल के तहत यदि किसी मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री या मंत्री पर भ्रष्टाचार जैसे गंभीर आरोप लगते हैं और उनकी गिरफ्तारी होती है, तो उन्हें एक महीने के भीतर अपने पद से इस्तीफ़ा देना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा।
इस प्रस्ताव ने राजनीतिक गलियारों में गरमाहट और बहस दोनों छेड़ दी है।
मनीष सिसोदिया का बयान
आप नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस बिल का स्वागत करते हुए शक भी जताया। उन्होंने कहा कि –
"यह अच्छी बात है कि भ्रष्ट नेताओं को हटाने का प्रावधान लाया जा रहा है। नेताओं को डर होना चाहिए कि अगर वह भ्रष्टाचार करेंगे तो कुर्सी गंवानी पड़ेगी। लेकिन जिस तरह ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग हुआ है, उसी तरह इस विधेयक का भी दुरुपयोग होने की पूरी संभावना है।"
उन्होंने आगे कहा कि आम आदमी पार्टी पूरी तरह ईमानदार लोगों की पार्टी है और ऐसे किसी भी नियम को हमेशा अच्छा मानेगी।
राजनीतिक हलकों में चर्चा
इस संशोधन को लेकर अब राजनीतिक पार्टियों के बीच तीखी बहस छिड़ गई है। विपक्ष का कहना है कि यह बिल भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की बजाय राजनीतिक हथियार साबित हो सकता है, जबकि सरकार का दावा है कि इससे राजनीति में पारदर्शिता आएगी।