उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली कस्बे में 22 अगस्त की रात बादल फटने जैसी दैवीय आपदा ने भारी तबाही मचाई। रात करीब साढ़े 12 बजे तेज धमाके के साथ आए पानी और मलबे के सैलाब ने दर्जनों घरों और दुकानों को अपनी चपेट में ले लिया। पीड़ितों का कहना है कि धमाका इतना भयानक था जैसे "मानो बम फट गया हो" और जान बचाने के लिए उनके पास महज दो मिनट का समय था।
दो मिनट में बदल गई जिंदगी
स्थानीय निवासी बलवीर रावत ने बताया कि अगर पड़ोस में रहने वाले वकील जय सिंह बिष्ट समय पर आवाज न देते तो बड़ा हादसा हो सकता था। आधी रात को जब मलबे के साथ पानी का सैलाब आया, तो लोग गहरी नींद में थे। रावत ने कहा – “धमाका इतना तेज था कि मानो बम फटा हो। बस दो मिनट का समय मिला और हम बाहर की ओर भागकर जान बचा पाए। मगर घर और दुकानें सब तबाह हो गईं।”
80 से अधिक घर-दुकान जमींदोज
आपदा में थराली के 80 से अधिक घर और दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं। कई गाड़ियां मलबे में दब गईं और करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ। पेशे से वकील जय सिंह बिष्ट का पूरा घर मलबे में दब गया। उन्होंने बताया कि उनकी छत पर मलबे के साथ दो कारें आ गिरीं। वहीं, सीमेंट और सरिया की दुकान चलाने वाले लक्ष्मी प्रसाद जोशी की दो दुकानें दब गईं, जिससे उन्हें करीब 25–30 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
हार्डवेयर कारोबारी दर्शन सिंह की चार दुकानें पूरी तरह नष्ट हो गईं। उन्होंने बताया कि इस दौरान उनके ताऊजी गंगा दत्त जोशी मलबे में फंस गए थे, जिन्हें बड़ी मुश्किल से बचाया जा सका।
प्रशासन सक्रिय, राहत कार्य जारी
आपदा के दौरान ग्रामीणों ने एक-दूसरे की मदद कर सुरक्षित स्थानों तक पहुंचने का प्रयास किया। कई लोग कुलसारी पॉलिटेक्निक तक जाकर सुरक्षित हुए। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिए हैं। मलबा हटाने और क्षतिग्रस्त ढांचों की मरम्मत का काम जारी है।
पीड़ितों ने बताया कि इस आपदा ने उनकी जीवनभर की कमाई और व्यवसाय को तबाह कर दिया है और अब जिंदगी को फिर से पटरी पर लाना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।