पटना: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन (Grand Alliance) ने बड़ा राजनीतिक दांव खेला है। सूत्रों के अनुसार, अगर गठबंधन सत्ता में आता है, तो राज्य में पहली बार तीन उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे — एक दलित, एक मुस्लिम और एक अति पिछड़ा वर्ग (EBC) समुदाय से। इस फैसले को तेजस्वी यादव का ‘मास्टर प्लान’ माना जा रहा है, जिसका उद्देश्य सामाजिक संतुलन और राजनीतिक प्रतिनिधित्व को नया स्वरूप देना है।
गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का चेहरा तेजस्वी यादव होंगे। वे पिछड़े वर्ग से आते हैं और दो बार बिहार के उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। हालांकि औपचारिक घोषणा अभी बाकी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस, वाम दल और वीआईपी ने इस पर सहमति जताई है।
सीट बंटवारा लगभग तय
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी के अनुसार, सीट बंटवारे का फार्मूला लगभग तय हो गया है —
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राजद: 125 सीटें
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कांग्रेस: 50–55 सीटें
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वाम दल: 25 सीटें
बाकी सीटें वीआईपी, लोजपा (पशुपति पारस गुट) और झामुमो के बीच बांटी जाएंगी।
सूत्रों के अनुसार, वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है। वहीं, कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि तीन उपमुख्यमंत्री का प्रस्ताव राहुल गांधी के सामाजिक समावेशन संदेश से प्रेरित है।
राजनीतिक संतुलन की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह रणनीति तेजस्वी यादव को कई मोर्चों पर लाभ पहुंचा सकती है—
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वंशवाद के आरोपों को कमजोर करेगी
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आरजेडी की यादव-प्रधान छवि को बदलेगी
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दलित, मुस्लिम और पिछड़े वर्गों को सत्ता में सीधी हिस्सेदारी का संदेश देगी
इतिहास में पहली बार तीन उपमुख्यमंत्री की तैयारी
बिहार के राजनीतिक इतिहास में अब तक 10 उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। सुशील कुमार मोदी ने सबसे लंबे समय तक (10 साल 316 दिन) इस पद पर काम किया, जबकि तेजस्वी यादव अब तक तीन साल से अधिक समय तक इस पद पर रह चुके हैं। अगर यह फॉर्मूला लागू होता है, तो यह राज्य में पहली बार होगा जब तीन उपमुख्यमंत्री पद एक साथ अस्तित्व में आएंगे।
तेजस्वी बनाम नीतीश – मुकाबला रोचक होगा
वर्तमान में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में दो उपमुख्यमंत्री हैं – सम्राट चौधरी (ओबीसी) और विजय कुमार सिन्हा (भूमिहार)। आने वाले चुनाव में तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बीच मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है।
243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 123 सीटों की आवश्यकता है। महागठबंधन की नई रणनीति यदि कामयाब रही, तो यह बिहार की राजनीति में नया इतिहास लिख सकती है।