नई दिल्ली। भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान की बहाली की अपील को ठुकरा दिया है। अब भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह इस संधि को पुराने स्वरूप में स्वीकार नहीं करेगा, बल्कि इसे नए सिरे से तय किया जाएगा। भारत अब इस संधि को अंतरराष्ट्रीय नियमों और अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए दोबारा रिनिगोशिएट करना चाहता है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा भेजी गई अपील पर भारत कोई विचार नहीं करेगा। भारत का रुख साफ है कि अब वह सिंधु जल संधि की पुरानी शर्तों के तहत आगे नहीं बढ़ेगा।
भारत का मानना है कि सिंधु जल संधि, जो कि 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच ‘गुडविल’ और पारस्परिक सहयोग के आधार पर हुई थी, अब मौजूदा परिस्थितियों में प्रासंगिक नहीं रही। सूत्रों का कहना है कि बीते तीन दशकों में पाकिस्तान ने आतंकवाद को समर्थन देकर उस भरोसे को तोड़ा है, जिस पर यह ऐतिहासिक संधि आधारित थी।
भारत की इस नई नीति के तहत सिंधु जल संधि को भारत के हितों के अनुसार संशोधित किया जाएगा और इसकी शर्तें अब दोबारा तय की जाएंगी। यह कदम भारत की बदलती रणनीतिक सोच और क्षेत्रीय जल संसाधनों पर नियंत्रण को लेकर बढ़ती सजगता का प्रतीक माना जा रहा है।