अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि परिसर में इस दीपोत्सव पर भव्य आयोजन की तैयारियाँ जोरों पर हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने निर्णय लिया है कि श्रीराम मंदिर सहित पूरे परिसर में केसरिया (भगवा) ध्वज लहराया जाएगा। यह ध्वज न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि सूर्यवंश की परंपरा और आध्यात्मिक समन्वय का भी संदेश देगा।
ध्वज की विशेषताएँ
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष महंत गोविंद देव गिरि ने बताया कि यह ध्वज 11 फीट चौड़ा और 22 फीट लंबा होगा। इसमें सूर्यवंश का प्रतीक सूर्य चिन्ह, इक्ष्वाकु वंश का चिह्न कोविदार वृक्ष (कचनार) और समन्वय का प्रतीक ओंकार अंकित रहेगा।
ध्वज की आकृति चौकोर होगी, जिसे 25 नवम्बर (विवाह पंचमी) के शुभ अवसर पर फहराया जाएगा। इस पवित्र समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ध्वजारोहण करेंगे।
दीपोत्सव में दिखेगी राम मंदिर की पूर्णता की झलक
इस बार का अयोध्या दीपोत्सव विशेष होगा — क्योंकि इसमें श्रीराम मंदिर के पूर्णता की झलक दिखाई देगी। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के न्यासी डा. अनिल मिश्र ने बताया कि
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मंदिर और पूरे परिसर में सवा लाख दीपक जलाए जाएंगे।
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इनमें 40 हजार मोम के दीए पत्थरों की सुरक्षा के लिए बनाए जा रहे हैं।
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साथ ही 50 हजार से अधिक तेल के दीए और रंग-बिरंगे इलेक्ट्रिक बल्ब परिसर को आलोकित करेंगे।
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मंदिरों में फसाड लाइटिंग और विद्युत झालरों से विशेष साज-सज्जा की जाएगी।
चारों प्रवेश द्वारों की भव्य सजावट
राम मंदिर परिसर के चारों मुख्य द्वारों को चार महान संतों के नाम पर सजाया जा रहा है —
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आदिगुरु रामानंदाचार्य द्वार (जन्मभूमि पथ)
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आदिगुरु माध्वाचार्य द्वार (क्रॉसिंग थ्री)
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आदिगुरु शंकराचार्य द्वार (क्रॉसिंग इलेवन)
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आदिगुरु रामानुजाचार्य द्वार (उत्तरी प्रवेश)
इन द्वारों की सजावट दीपों, लाइटों और रंगोलियों से की जाएगी, जिससे पूरा परिसर भक्ति और उत्सव के रंग में रंग जाएगा।
परकोटे की सजावट बनेगी आकर्षण का केंद्र
लगभग आठ एकड़ में निर्माणाधीन परकोटे का 70% काम पूरा हो चुका है। विशेषज्ञों की मदद से इसे दीपोत्सव में विशेष रूप से सजाने की योजना है। इसमें रंगोली, फसाड लाइटिंग, सजावटी दीए और विद्युत झालरें प्रमुख आकर्षण होंगी।
विभिन्न संस्थाओं के वालंटियर्स की टीम इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग करेगी।
25 नवम्बर से श्रद्धालुओं को मिलेगा परकोटे के मंदिरों का दर्शन
25 नवम्बर को ध्वजारोहण के साथ मंदिर निर्माण की पूर्णता की औपचारिक घोषणा होगी। उसी दिन से श्रद्धालु परकोटे के सभी छह मंदिरों, शेषावतार मंदिर और कुबेर टीला स्थित कुबेरेश्वर नाथ महादेव मंदिर का दर्शन कर सकेंगे।
तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और जिला प्रशासन मिलकर दर्शन व्यवस्था की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं। श्रद्धालुओं को दो-दो घंटे के स्लॉट के अनुसार पास जारी किए जाएंगे ताकि भीड़ का प्रबंधन सुव्यवस्थित रहे।
हर वर्ग के संतों और श्रद्धालुओं का प्रतिनिधित्व
महंत गोविंद देव गिरि ने बताया कि ध्वजारोहण समारोह में अयोध्या और पूर्वी उत्तर प्रदेश के संत-महंतों एवं समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इस बार समारोह को पूरी तरह अयोध्या केंद्रित रखा जाएगा और बाहर के राज्यों से सीमित आमंत्रण दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि यह आयोजन इस बात का प्रतीक होगा कि राम मंदिर निर्माण का पहला चरण पूर्ण हो चुका है। दूसरे चरण में बाउंड्री वाल, अतिथि गृह और तीर्थ क्षेत्र कार्यालय का निर्माण कार्य जारी रहेगा।