उत्तरकाशी | अक्टूबर 2025
उत्तराखंड में चारधाम यात्रा अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गई है। बुधवार को अन्नकूट पर्व के शुभ अवसर पर गंगोत्री धाम के कपाट विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। तय मुहूर्त से 15 मिनट पूर्व, सुबह 11:20 बजे कपाट बंद होने के साथ ही मां गंगा की उत्सव डोली अपने शीतकालीन पड़ाव मुखीमठ (मुखबा) के लिए रवाना हुई।
केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट भैयादूज पर होंगे बंद
तीर्थ-पुरोहितों के अनुसार, भैयादूज (23 अक्टूबर, गुरुवार) को केदारनाथ और यमुनोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।
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केदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8:30 बजे बंद होंगे।
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यमुनोत्री धाम के कपाट दोपहर 12:30 बजे बंद किए जाएंगे।
इसके साथ ही चारधाम यात्रा के इस वर्ष के धार्मिक अध्याय का समापन होगा।
कपाटबंदी के लिए धामों में भव्य सजावट
कपाटबंदी के अवसर पर गंगोत्री और यमुनोत्री धाम को गेंदा, गुलाब, कमल, रजनीगंधा और स्थानीय फूलों से सजाया गया है।
दीपों और झालरों से सजे मंदिर प्रांगण में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है।
दीपोत्सव और अन्नकूट पर्व पर यमुनोत्री धाम में भक्ति और उत्सव का अनोखा संगम दिखाई दे रहा है।
मां यमुना की विदाई और स्वागत की तैयारियां
यमुनोत्री मंदिर समिति के प्रवक्ता पुरुषोत्तम उनियाल के अनुसार, यमुनोत्री धाम में मां यमुना की भव्य विदाई और खरसाली गांव में स्वागत समारोह की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं।
दोनों ही स्थानों पर मंदिरों की सजावट का कार्य मंदिर समिति और पुरोहित महासभा के सहयोग से पूरा किया जा रहा है।
23 अक्टूबर को कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की शीतकालीन यात्रा पारंपरिक ढोल-दमाऊं, भजन-कीर्तन और भक्तिमय माहौल के बीच खरसाली गांव के लिए प्रस्थान करेगी।
भक्ति और आस्था से महक रहा यमुनोत्री
यमुनोत्री धाम में हजारों श्रद्धालु मां यमुना की विदाई के साक्षी बनने पहुंच रहे हैं।
हर ओर “जय मां यमुना” के जयघोष गूंज रहे हैं और पूरा क्षेत्र भक्ति, पुष्प और आस्था की खुशबू से सराबोर है।
मंदिर प्रांगण इस तरह सजा है मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो।