नई दिल्ली, 20 मई 2025 — राजधानी दिल्ली के एक प्रतिष्ठित निजी स्कूल ने फीस न भरने पर 32 छात्रों को स्कूल में घुसने से रोक दिया। मामला तब गरमाया जब स्कूल प्रशासन ने मुख्य गेट पर बाउंसर तैनात कर दिए, जिन्होंने इन छात्रों को एंट्री नहीं दी। इस घटना के बाद अभिभावकों में आक्रोश फैल गया और शिक्षा विभाग से शिकायत की गई।
क्या है पूरा मामला?
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घटना दिल्ली के एक प्रमुख निजी स्कूल की है (स्कूल का नाम सुरक्षा कारणों से नहीं उजागर किया गया है)।
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आरोप है कि 32 छात्रों के माता-पिता फीस नहीं भर पाए थे, जिसके चलते स्कूल प्रशासन ने बाउंसरों की मदद से बच्चों को क्लास में जाने से रोक दिया।
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कई छात्रों को स्कूल गेट के बाहर घंटों खड़ा रहना पड़ा, जिससे उनकी पढ़ाई और मानसिक स्थिति पर असर पड़ा।
अभिभावकों का आरोप
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अभिभावकों ने कहा कि स्कूल ने फीस जमा करने की कोई अंतिम चेतावनी नहीं दी, बल्कि सीधे बच्चों को रोक दिया।
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यह कदम मानवाधिकारों और शिक्षा के अधिकार (RTE) का उल्लंघन है।
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कुछ बच्चों ने रोते हुए कहा कि उन्हें "शर्मिंदगी" का सामना करना पड़ा।
स्कूल प्रशासन का पक्ष
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स्कूल प्रबंधन का कहना है कि बार-बार रिमाइंडर भेजे गए थे, लेकिन कई अभिभावकों ने जानबूझकर फीस नहीं चुकाई।
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प्रशासन का यह भी कहना है कि यह फैसला "अनुशासन बनाए रखने" और "अन्य छात्रों पर असर न पड़े", इसलिए लिया गया।
मामला पहुंचा शिक्षा विभाग तक
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दिल्ली के शिक्षा निदेशालय ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए स्कूल से जवाब तलब किया है।
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जांच के बाद स्कूल पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है यदि नियमों का उल्लंघन पाया गया।
शिक्षा अधिकार कार्यकर्ताओं की प्रतिक्रिया:
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कई संगठनों ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि "बच्चों को सजा देना अमानवीय है" और शिक्षा को बाधित करना गैरकानूनी है।
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उन्होंने मांग की कि ऐसे स्कूलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।