काठमांडू, 9 सितंबर 2025 – नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता और युवाओं के आंदोलन ने गंभीर रूप ले लिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध और सरकारी भ्रष्टाचार के विरोध में शुरू हुआ आंदोलन अब हिंसक रूप धारण कर चुका है। सोमवार को प्रदर्शन के दौरान पुलिस की गोलीबारी में 19 लोगों की मौत के बाद हालात तेजी से बिगड़ गए। कर्फ्यू घोषित होने के बावजूद हजारों युवा सड़कों पर डटे हुए हैं और सरकारी संस्थानों व नेताओं के आवासों को निशाना बना रहे हैं।
उपद्रवियों ने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के निजी आवासों पर कब्जा कर आग लगा दी। साथ ही नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय, संसद भवन और सुप्रीम कोर्ट तक को आग के हवाले कर दिया गया। जिस संसद में देश के महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते थे, वह अब धू-धूकर जल रही है और कोई भी प्रशासनिक व्यवस्था उसे संभाल नहीं पा रही।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने स्थिति को गंभीर बताते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, लेकिन हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही। कई मंत्री और नेता सेना की मदद से हेलिकॉप्टर द्वारा सुरक्षित स्थानों पर भेजे जा रहे हैं। काठमांडू अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ानों पर भी रोक लगा दी गई है। काठमांडू से लेकर भारत से सटे वीरगंज तक उपद्रवियों ने सड़कें, संस्थान और सरकारी भवनों पर कब्जा कर रखा है।
इस पूरे घटनाक्रम की तुलना बांग्लादेश में हाल ही में बने राजनीतिक हालात से की जा रही है। वहां भी एक आंदोलन ने सत्ता परिवर्तन कराया था और अंतरिम सरकार का गठन हुआ था। नेपाल में भी अंतरिम सरकार बनाने की चर्चा तेज हो गई है, ताकि आंदोलन कर रहे युवाओं का विश्वास बहाल किया जा सके।
विश्लेषकों का मानना है कि सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार के विरोध जैसी वजहों से इतना बड़ा आंदोलन होना सहज नहीं है। कई लोग इसे एक सुनियोजित साजिश बताते हुए विदेशी हस्तक्षेप की आशंका जता रहे हैं। नेपाल में जारी यह संकट न सिर्फ राजनीतिक अस्थिरता बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी चुनौती बनता जा रहा है।
नेपाल की स्थिति पर लगातार अपडेट मिल रहे हैं। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां स्थिति को नियंत्रित करने में जुटी हुई हैं।