भारतीय शेयर बाजार बुधवार को दबाव के साथ । दिन के उतार-चढ़ाव के बाद बीएसई सेंसेक्स करीब 0.45% गिरकर लगभग 81,757 अंक पर और एनएसई निफ्टी 50 करीब 0.43% लुढ़क कर 25,072 अंक के आसपास । वैश्विक संकेतों की कमजोरी, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और अमेरिकी वीज़ा पॉलिसी से जुड़ी चिंताओं ने बाजार की धारणा को कमजोर किया।
बाजार की मुख्य वजहें
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IT सेक्टर पर दबाव: अमेरिकी H-1B वीज़ा शुल्क में बढ़ोतरी और चयन प्रक्रिया में बदलाव की आशंका ने भारतीय IT कंपनियों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया।
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विदेशी निवेशकों की बिकवाली: मंगलवार को विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने लगभग ₹35,500 करोड़ की भारी बिकवाली की, जिससे बाजार में कमजोरी बढ़ी।
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वैश्विक अनिश्चितता: अमेरिकी ब्याज दरों और आर्थिक डेटा को लेकर मिलेजुले संकेतों ने निवेशकों को सतर्क बनाए रखा।
सेक्टर और स्टॉक्स की चाल
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IT इंडेक्स सबसे ज्यादा दबाव में रहा, जिससे समग्र बाजार पर असर पड़ा।
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ऑटो और इंफ्रा शेयरों में हल्की मजबूती देखने को मिली।
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लार्सन एंड टुब्रो (L&T) में लगभग 0.78% की बढ़त दर्ज हुई, जबकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कुछ मिडकैप शेयरों में गिरावट रही।
अन्य अहम अपडेट
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HSBC ने भारत को “Overweight” रेटिंग देते हुए अनुमान लगाया है कि सेंसेक्स 2026 के अंत तक 94,000 अंक तक पहुंच सकता है।
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इंदौर शेयर मार्केट घोटाला: ₹74 लाख की निवेश धोखाधड़ी के मामले में एक व्यक्ति गिरफ्तार।
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पैनी स्टॉक्स में हलचल: कुछ छोटे शेयरों में तेजी देखी गई, जो निवेशकों का ध्यान खींच रही है।
निवेशकों के लिए सलाह
विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा परिस्थितियों में सावधानी जरूरी है।
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अल्पकालिक निवेशक स्टॉप लॉस के साथ ही ट्रेड करें।
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लंबी अवधि के निवेशक अच्छी गुणवत्ता वाले स्टॉक्स में गिरावट का लाभ उठाने पर विचार कर सकते हैं।
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वैश्विक संकेतों और FPI गतिविधियों पर नजर रखना आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण रहेगा।