दिल्ली के 92 वर्षीय रिटायर्ड AIIMS सर्जन को ‘डिजिटल अरेस्ट’ का झांसा देकर ठगों ने 2.2 करोड़ रुपये की ठगी कर ली। बुजुर्ग ने समय रहते पुलिस से शिकायत की, जिससे दो महीने की जांच के बाद न केवल आरोपियों को गिरफ्तार किया गया, बल्कि पूरी रकम भी पीड़ित को वापस मिल गई।
कैसे दिया गया धोखे को अंजाम?
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 15 मार्च को सामने आई, जब रिटायर्ड सर्जन ने दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल की साइबर यूनिट में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि उन्हें कई अलग-अलग नंबर्स से कॉल्स आने लगे, जिनमें कॉल करने वालों ने खुद को TRAI (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) का अधिकारी बताया। उन्होंने बुजुर्ग को बताया कि उनके खिलाफ एक FIR दर्ज है और अगर उसे रद्द कराना है, तो उन्हें पैसे भेजने होंगे।
फिर एक वीडियो कॉल आया, जिसमें सामने वाले ने खुद को महाराष्ट्र पुलिस का ACP बताया और एक फर्जी गिरफ्तारी वारंट दिखाकर धमकी दी कि अगर पैसे नहीं भेजे गए, तो उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया जाएगा। डर के मारे बुजुर्ग ने आरोपी के खाते में 2.2 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए।
समय रहते की शिकायत से बचा नुकसान
शुरुआत में डर के कारण बुजुर्ग ने किसी को कुछ नहीं बताया, लेकिन जैसे ही उन्हें शक हुआ कि वे ठगी के शिकार हो चुके हैं, उन्होंने तुरंत दिल्ली पुलिस से संपर्क किया। पुलिस ने फौरन कार्रवाई करते हुए बैंक खातों को ट्रैक किया और पैसे फ्रीज कर दिए। जांच में पाया गया कि ठगी की रकम गाजियाबाद निवासी अमित और असम निवासी हरि के खातों में गई थी।
आरोपियों की गिरफ्तारी और रकम की वापसी
स्पेशल सेल की साइबर यूनिट ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ के बाद 2.2 करोड़ रुपये की पूरी रकम बुजुर्ग डॉक्टर के खाते में वापस जमा करा दी गई है। पुलिस ने यह भी बताया कि आरोपी यह रकम एक बड़े गिरोह के सरगना तक पहुंचाने वाले थे। अब पुलिस सरगना की तलाश कर रही है और मामले की जांच जारी है।
यह मामला न केवल साइबर क्राइम की खतरनाक नई रणनीति को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि सतर्कता और समय पर की गई शिकायत कैसे बड़े नुकसान से बचा सकती है।