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थल सेना अध्यक्ष को टेरिटोरियल आर्मी बुलाने की छूट, सरकार का बड़ा फैसला

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नई दिल्ली, 6 मई 2025: भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने थल सेना अध्यक्ष (Chief of Army Staff) को टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army - TA) की यूनिट्स को सक्रिय सेवा में बुलाने की औपचारिक अनुमति दे दी है।

क्या है निर्णय का मुख्य बिंदु?

थल सेना अध्यक्ष अब 14 टेरिटोरियल आर्मी इन्फैंट्री बटालियनों को विभिन्न सैन्य कमांड्स में तैनात कर सकते हैं।

यह आदेश 6 मई 2025 से फरवरी 2028 तक के लिए प्रभावी रहेगा।

निर्णय का उद्देश्य रेगुलर आर्मी को लॉजिस्टिक्स और ऑपरेशनल सहायता देना है।

पृष्ठभूमि में क्या है?

यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब हाल ही में पाकिस्तान द्वारा भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाए जाने की कोशिशों को नाकाम किया गया था। इसके तुरंत बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर अहम निर्णय लिए गए।

टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका

टेरिटोरियल आर्मी एक स्वैच्छिक बल है जो आपातकालीन स्थिति में नियमित सेना को सहयोग देता है।

इसमें आम नागरिक भी चयनित होकर ट्रेनिंग प्राप्त करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर देश सेवा के लिए बुलाए जाते हैं।

यह निर्णय TA की सामरिक उपयोगिता और क्षमता को बढ़ाने वाला माना जा रहा है।

विशेषज्ञों की राय

रक्षा मामलों के जानकारों का मानना है कि यह फैसला सरकार की "प्रो-एक्टिव डिफेंस पॉलिसी" का हिस्सा है, जिससे सीमाओं की सुरक्षा के साथ-साथ अंदरूनी लॉजिस्टिक्स मजबूत होंगे।

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