भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार जल्द ही सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियों के ढांचे में बड़ा बदलाव कर सकती है। राज्य में 5 डे वर्किंग कल्चर (शनिवार-रविवार अवकाश) को समाप्त करने या गैर-जरूरी छुट्टियों में कटौती करने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए गृह विभाग, वित्त विभाग, राजस्व विभाग और सामान्य प्रशासन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिवों की एक कमेटी गठित की गई है, जो इस मुद्दे पर रिपोर्ट तैयार कर रही है।
सरकार का मानना है कि लगातार छुट्टियों की वजह से कार्यालयों के कामकाज की रफ्तार धीमी पड़ रही है और जनता को प्रशासनिक कार्यों में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अक्टूबर माह में ही प्रदेश के कर्मचारियों को 12 घोषित और 4 ऐच्छिक छुट्टियां मिली हैं, यानी महीने के 31 दिनों में मात्र 15 दिन ही काम हुआ। पूरे साल का हिसाब देखें तो कर्मचारियों को कुल 196 दिनों की छुट्टियां मिलती हैं, जो कामकाज को प्रभावित करती हैं।
5 डे वर्किंग सिस्टम कोरोना काल में लागू किया गया था, ताकि कर्मचारियों को बेहतर कार्य-जीवन संतुलन मिल सके। लेकिन अब सरकार इसे या तो खत्म करने या छुट्टियों की संख्या में कमी लाने पर विचार कर रही है।
कर्मचारी संगठनों का विरोध
इस फैसले के संकेत मिलते ही कर्मचारी संगठनों ने नाराजगी जाहिर की है।
मध्य प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने कहा कि “कर्मचारियों की छुट्टियां घटाने की बजाय सरकार को जयंतियों के नाम पर होने वाले अवकाश खत्म करने चाहिए।” उन्होंने बताया कि कर्मचारियों को औसतन 132-133 छुट्टियां ही मिलती हैं, और ऐच्छिक अवकाश में से अधिकतम तीन ही लिए जा सकते हैं।
मुख्य सचिव अनुराग जैन भी नाराज
सूत्रों के मुताबिक, मुख्य सचिव अनुराग जैन भी बढ़ती छुट्टियों से नाखुश हैं। हाल ही में उन्होंने दशहरे से एक दिन पहले छुट्टी के प्रस्ताव को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि “अक्टूबर में पहले से ही बहुत छुट्टियां हैं, अतिरिक्त अवकाश की आवश्यकता नहीं है।”
सरकार अब यह तय करने की दिशा में है कि या तो 5 डे वर्किंग प्रणाली को समाप्त कर सप्ताह में छह कार्य दिवस बहाल किए जाएं या फिर गैर-जरूरी छुट्टियों को घटाकर कार्य संस्कृति में सुधार लाया जाए।