रियो डी जेनेरियो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में आयोजित 17वें BRICS शिखर सम्मेलन में वैश्विक संस्थाओं की मौजूदा संरचना पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि आज की दुनिया में ग्लोबल साउथ की भागीदारी के बिना वैश्विक निर्णय लेना व्यवहारिक नहीं है। उन्होंने कहा, “ग्लोबल साउथ के बिना ये संस्थाएं उसी तरह हैं जैसे सिम कार्ड तो हो, लेकिन नेटवर्क न हो।”
PM मोदी ने जोर देते हुए कहा कि 20वीं सदी में बनी वैश्विक संस्थाओं में अब तक दुनिया की दो-तिहाई आबादी को समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। उन्होंने कहा कि जो देश आज वैश्विक अर्थव्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं, उन्हें निर्णय प्रक्रिया से वंचित रखा गया है।
ग्लोबल साउथ को मिला सिर्फ प्रतीकात्मक समर्थन
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि विकास, संसाधनों के वितरण और वैश्विक सुरक्षा जैसे अहम मसलों पर ग्लोबल साउथ को हाशिए पर रखा गया है। उन्होंने जलवायु वित्त (क्लाइमेट फाइनेंस), सतत विकास और तकनीक तक पहुंच जैसे मुद्दों का ज़िक्र करते हुए कहा कि इन मोर्चों पर ग्लोबल साउथ को वास्तविक लाभ नहीं मिल सका है।
‘पुरानी संस्थाएं नई दुनिया के अनुरूप नहीं’
PM मोदी ने वैश्विक संस्थाओं की पुरानी कार्यप्रणाली की आलोचना करते हुए कहा, “जब दुनिया में हर हफ्ते आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी अपडेट हो रहे हैं, तो यह अस्वीकार्य है कि वैश्विक संस्थाएं 80 वर्षों से बिना किसी बदलाव के चल रही हैं।” उन्होंने कहा, “20वीं सदी के टाइपराइटर से 21वीं सदी का सॉफ्टवेयर नहीं चलाया जा सकता।”
BRICS के विस्तार को बताया उम्मीद की किरण
प्रधानमंत्री ने BRICS के विस्तार को वैश्विक सहयोग के नए युग की शुरुआत बताया। उन्होंने कहा कि यह संगठन समय के अनुसार खुद को ढालने की क्षमता रखता है, और अब यही इच्छाशक्ति हमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC), विश्व व्यापार संगठन (WTO) और बहुपक्षीय विकास बैंकों जैसी संस्थाओं में भी दिखानी होगी।
सार
PM मोदी का यह संबोधन ग्लोबल साउथ की अनदेखी पर एक स्पष्ट और मजबूती से रखा गया संदेश है। उन्होंने ना सिर्फ वैश्विक संस्थाओं की आलोचना की, बल्कि सुधार की दिशा में BRICS जैसे मंचों की भूमिका को भी रेखांकित किया।