भोपाल। मध्य प्रदेश बीजेपी को आखिरकार नया प्रदेश अध्यक्ष मिल गया है। बैतूल से विधायक हेमंत खंडेलवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। उनके अलावा किसी और ने नामांकन नहीं भरा, ऐसे में उनका निर्विरोध चयन तय था। सोमवार देर शाम तक उनके नाम की आधिकारिक घोषणा की जाएगी।
प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया के दौरान भाजपा कार्यालय में केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल, डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा, डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, सांसद राकेश सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे। खंडेलवाल के चयन के साथ ही पार्टी में करीब दस महीने से चल रहे संगठनात्मक गतिरोध का भी पटाक्षेप हो गया है।
कौन हैं हेमंत खंडेलवाल?
2 सितंबर 1964 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में जन्मे हेमंत खंडेलवाल का रिश्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से लंबे समय से रहा है। वे दूसरी बार बैतूल से विधायक हैं और पूर्व में सांसद भी रह चुके हैं। उनके पिता विजय कुमार खंडेलवाल तीन बार बैतूल से सांसद रह चुके हैं, जिससे उनका राजनीतिक कद और जनाधार मजबूत है।
बी.कॉम और एलएलबी डिग्रीधारी खंडेलवाल एक व्यवसायी भी हैं और पार्टी में उन्हें एक निष्ठावान, अनुशासित और जमीनी कार्यकर्ता के तौर पर जाना जाता है।
राजनीतिक सफरनामा
-
2007-2008: बैतूल से लोकसभा सांसद रहे।
-
2010-2013: भाजपा के बैतूल जिलाध्यक्ष के तौर पर संगठन को मजबूत किया।
-
2013: पहली बार विधायक बने, विधायक सुविधा समिति के सभापति रहे।
-
2014-2018: प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष रहे और कुशाभाउ ठाकरे ट्रस्ट के अध्यक्ष भी नियुक्त किए गए।
-
2023: दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए।
संघ और शिवराज से करीबी
हेमंत खंडेलवाल को संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी सुरेश सोनी और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का करीबी माना जाता है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इन्हीं दोनों नेताओं की सिफारिश पर खंडेलवाल का नाम फाइनल हुआ। डॉ. यादव के मुख्यमंत्री बनने में भी सुरेश सोनी की भूमिका अहम रही थी।
इसके अलावा खंडेलवाल का केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके परिवार के साथ भी निजी संबंध काफी अच्छे माने जाते हैं। मुख्यमंत्री रहते हुए खंडेलवाल ने बैतूल में एक महत्वपूर्ण कृषि क्लस्टर की स्थापना में बड़ी भूमिका निभाई थी, जहां चौहान के बेटे कार्तिकेय की मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट भी संचालित होती है।
कमलनाथ सरकार गिराने में निभाई थी भूमिका
2020 में जब कांग्रेस की कमलनाथ सरकार संकट में थी, उस समय हेमंत खंडेलवाल पर्दे के पीछे सक्रिय भूमिका में थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में आने के बाद जो 22 विधायक कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे, उनके प्रबंधन की जिम्मेदारी खंडेलवाल को सौंपी गई थी। सूत्रों के मुताबिक, विधायकों को बेंगलुरु के एक रिसॉर्ट में ठहराने और उनकी देखरेख का जिम्मा भी उन्होंने संभाला था।
भविष्य की चुनौती और जिम्मेदारी
प्रदेश अध्यक्ष के रूप में हेमंत खंडेलवाल की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब पार्टी को संगठनात्मक मजबूती, जमीनी स्तर पर कार्यकर्ता संवाद और सरकार के साथ बेहतर तालमेल की जरूरत है। पार्टी नेतृत्व को उम्मीद है कि खंडेलवाल अपने संगठनात्मक अनुभव और संघ से जुड़ाव के जरिए इन सभी चुनौतियों पर खरा उतरेंगे।