भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे में एक ऐतिहासिक निवेश की घोषणा करते हुए Google ने लगभग 10 अरब डॉलर (करीब ₹88,000 करोड़) के विशाल प्रोजेक्ट का ऐलान किया है। इस निवेश के तहत कंपनी आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में एशिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर क्लस्टर स्थापित करेगी।
यह परियोजना 1 गीगावॉट (GW) क्षमता वाले हाई-टेक डेटा सेंटर क्लस्टर के रूप में विकसित की जाएगी, जो देशभर में डेटा स्टोरेज, क्लाउड कंप्यूटिंग और AI आधारित सेवाओं की रीढ़ बनेगा।
तीन प्रमुख लोकेशन पर बनेगा डेटा सेंटर
Google के अनुसार यह क्लस्टर तीन अलग-अलग कैम्पस में बनाया जाएगा —
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अडाविवरम,
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तरलुवाडा (दोनों विशाखापट्टनम जिले में), और
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रांबिली (अनकापल्ली जिले में)।
इन सभी सेंटरों को जुलाई 2028 तक ऑपरेशनल करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही यहां सबमरीन केबल लैंडिंग स्टेशन, मैट्रो फाइबर नेटवर्क, और ग्रीन एनर्जी इंफ्रास्ट्रक्चर भी विकसित किए जाएंगे।
आंध्र प्रदेश को मिलेगा बड़ा आर्थिक लाभ
राज्य सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, इस परियोजना से 2028 से 2032 के बीच हर वर्ष ₹10,000 करोड़ से अधिक की आर्थिक वृद्धि की उम्मीद है।
इसके अलावा, लगभग 1.8 लाख से ज्यादा रोजगार (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) सृजित होंगे, जिनमें निर्माण, संचालन, तकनीकी और सप्लाई चेन से जुड़े क्षेत्र शामिल हैं।
सरकार ने दी मंजूरी
आंध्र प्रदेश सरकार के State Investment Promotion Board (SIPB) ने इस परियोजना को मंजूरी दे दी है। सरकार ने Google को आवश्यक भूमि, बिजली, पानी और बुनियादी ढांचे की सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।
राज्य के आईटी एवं उद्योग विभाग के अधिकारियों ने बताया कि यह निवेश “Digital India Vision 2030” को गति देगा और आंध्र प्रदेश को दक्षिण भारत का डेटा हब बनाएगा।
ग्रीन एनर्जी पर फोकस
Google का कहना है कि यह प्रोजेक्ट 100% नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित किया जाएगा। कंपनी सौर और पवन ऊर्जा संयंत्रों के साथ साझेदारी करने की योजना बना रही है ताकि डेटा सेंटर पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ रह सके।
डिजिटल इंडिया के लिए बड़ा कदम
विशाखापट्टनम का यह डेटा सेंटर क्लस्टर न केवल Google की क्लाउड सेवाओं को मजबूती देगा, बल्कि देश में AI, IoT, 5G और डिजिटल पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार करेगा।
टेक विशेषज्ञों का मानना है कि इस निवेश से भारत दक्षिण एशिया के डेटा इकॉनमी केंद्र के रूप में उभरेगा।
चुनौतियाँ भी रहेंगी
हालांकि, परियोजना से जुड़ी चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं —
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भूमि अधिग्रहण और पर्यावरणीय स्वीकृतियाँ समय ले सकती हैं,
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डेटा सेंटरों के लिए पर्याप्त और स्थायी बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी,
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और स्थानीय नेटवर्क कनेक्टिविटी को मजबूत करना जरूरी होगा।