तिथि: 10 जुलाई 2025 (गुरुवार)
पर्व का महत्व: जीवन को दिशा देने वाले गुरुजनों के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का दिन
क्या है गुरु पूर्णिमा का महत्व?
गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन पर्व है, जो आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। यह दिन उन गुरुजनों को समर्पित होता है जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
संस्कृत में "गु" का अर्थ है अंधकार और "रु" का अर्थ है प्रकाश।
इस प्रकार गुरु वह होता है जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।
ऐतिहासिक और आध्यात्मिक पृष्ठभूमि
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इस दिन महर्षि वेदव्यास जी का जन्म हुआ था, जिन्होंने वेदों का विभाजन और महाभारत की रचना की।
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बौद्ध परंपरा के अनुसार, भगवान बुद्ध ने इसी दिन अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया था।
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यह दिन भारतीय गुरु-शिष्य परंपरा का प्रतीक है और आत्मिक उन्नति का पर्व माना जाता है।
कैसे मनाएं गुरु पूर्णिमा?
👉 गुरुओं की पूजा और उनका आशीर्वाद लेना
👉 आध्यात्मिक साधना, ध्यान, और पाठ करना
👉 शिक्षकों, माता-पिता और जीवन में मार्गदर्शन करने वाले लोगों को धन्यवाद देना
👉 जरूरतमंदों को भोजन या वस्त्र दान देना
गुरु के बिना जीवन अधूरा है
"गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय।
बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय।"
– कबीरदास
गुरु न केवल ज्ञान का दाता होता है, बल्कि वह जीवन को सही दिशा भी देता है। चाहे वो आध्यात्मिक गुरु हो, शिक्षक हो, या माता-पिता, सभी का योगदान अमूल्य है।
2025 में गुरु पूर्णिमा की थीम: "ज्ञान से जागृति तक"
इस वर्ष देशभर में आश्रमों, स्कूलों और संस्थानों में ऑनलाइन-ऑफलाइन कार्यक्रम, ध्यान सत्र, और संस्कार शालाएं आयोजित हो रही हैं।