नई दिल्ली, 12 जून 2025:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र सरकार ने शुक्रवार को वित्त मंत्रालय की सिफारिश से BSNL, MTNL और ITI की कई गैर-प्रमुख संपत्तियों को दूसरे केंद्रीय मंत्रालयों और राज्य सरकारों को स्थानांतरित करने का निर्णय लिया।
क्यों कर रही सरकार यह कदम?
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ऋण बोझ कम करना: MTNL के पास 31 मार्च 2025 तक ₹33,000 करोड़ से अधिक कर्ज है, जबकि BSNL पर नवंबर 2024 तक ₹23,297 करोड़ का कर्ज था। इन कंपनियों को वित्तीय रूप से स्थिर बनाने के लिए संपत्तियों का मोनेटाइजेशन और ट्रांसफर योजना बनाई गई है।
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टेलिकॉम सुधार: प्राप्त राशि का उपयोग नेटवर्क ऑफ़ग्रेड और 4G/5G सेवाओं को मजबूत करने में किया जाएगा।
प्रक्रिया और प्रक्रिया की स्थिति
संपत्ति सूचीकरण: BSNL और MTNL की मिलाकर लगभग ₹1,000 करोड़ मूल्य की करीब 100–600 संपत्तियाँ (भूमि, भवन आदि) सूचीबद्ध की गई हैं ।
स्टेट क्लीयरेंस: भूमि संबंधित स्वामित्व और दस्तावेज़ीकरण को सुसंगत बनाने के लिए राज्य सरकारों के साथ समन्वय शुरू किया गया है ।
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समय सीमा: मार्च 2026 तक बिक्री या लीज़िंग पूरा करने का लक्ष्य रखा गया, हालाँकि प्रक्रियागत बाधाएं इसे पीछे धकेल सकती हैं ।\
ITI की भूमिका
ITI की टेलिकॉम से अप्रासंगिक संपत्तियां अंडरयूटिलाइज़्ड बताई जा रही हैं। इन्हें अन्य मंत्रालयों जैसे रक्षा, सड़क परिवहन या शिक्षा को हस्तांतरित करने की तैयारी है। इससे उनकी उपयोगिता और विकास सुनिश्चित होगा।
राज्य-स्तरीय चुनौतियाँ
भूमि कानूनी जटिलताएं, आरक्षण और शीर्षक विवाद प्रमुख अड़चनें हैं।
इनसे बचने हेतु राज्य-न्यायालय स्तर पर विशेष पैनल बनाये जा रहे हैं।
केंद्र और राज्य का आपसी सहयोग सुनिश्चित करने पर जोर दिया जा रहा है।
सरकारी कार्रवाई
केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों को पत्र लिखकर BSNL–MTNL नेटवर्क का उपयोग करने का निर्देश दिया है, जिससे डेटा गोपनीयता सुनिश्चित हो सके ।
ITI की गैर-कुशल संपत्तियों का पुनः उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रस्तावित स्थानांतरण की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है।
यह कदम BSNL, MTNL और ITI की वित्तीय व परिचालन स्थिति सुदृढ़ करने की रणनीति का हिस्सा है। संपत्तियों के हस्तांतरण से केंद्र और राज्य दोनों को लाभ होगा—वित्तीय राहत, बेहतर सेवा और सरकारी संसाधनों का संगठित उपयोग।
हालांकि, समयसीमा—मार्च 2026—तक पूरा होना राज्य-स्तरीय बाधाओं के कारण चुनौतीपूर्ण रह सकता है। इसके बावजूद, यह पहल सरकारी बैंकों की चिंताओं, एनपीए से बचने, और डिजिटल इंडिया की दृष्टि को सशक्त करने में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।