12 मई 2025 | मध्य प्रदेश
सुप्रीम कोर्ट ने सोम डिस्टिलरीज ब्रेवरीज़ एंड वाइनरीज़ लिमिटेड (SDBWL) से जुड़े ₹350 करोड़ के बेनामी शेयरों की रिहाई पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस आदेश को "कानूनी विकृति" करार देते हुए स्पष्ट किया कि बेनामी संपत्ति को किसी अन्य संपत्ति से बदला नहीं जा सकता।
मामला क्या है?
आयकर विभाग की बेनामी निषेध इकाई (Benami Prohibition Unit - BPU), भोपाल ने PBPT अधिनियम, 1988 के तहत सोम डिस्टिलरीज के प्रमोटर जगदीश कुमार अरोड़ा द्वारा कर्मचारियों और सहयोगियों के नाम पर रखे गए लगभग 1.2 करोड़ शेयरों को बेनामी मानते हुए अस्थायी रूप से अटैच किया था। इन शेयरों का बाजार मूल्य लगभग ₹350 करोड़ आंका गया है।
हाईकोर्ट का आदेश और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
27 मार्च 2025 को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अटैच किए गए शेयरों की रिहाई की अनुमति दी थी, बशर्ते कि कंपनी और अरोड़ा द्वारा रखे गए समान संख्या के शेयरों को अटैच कर दिया जाए।
इस आदेश को चुनौती देते हुए केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि यह निर्णय PBPT अधिनियम की मूल भावना के विरुद्ध है।
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुयान की पीठ ने टिप्पणी की:
“ऐसा आदेश कैसे पारित किया जा सकता है? यह आदेश तो कानून की विकृति के समान है।”
कोर्ट ने साफ किया कि बेनामी रूप से अटैच की गई संपत्ति को बदला नहीं जा सकता, और इसकी बिक्री अथवा रिहाई केवल वैधानिक प्रक्रिया के तहत ही संभव है।
सरकार का पक्ष
केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि हाईकोर्ट का आदेश PBPT अधिनियम की वैधानिक शक्तियों से परे है और इससे जांच में बाधा के साथ-साथ राजकोष को अपूरणीय वित्तीय नुकसान हो सकता है। सरकार ने यह भी आगाह किया कि इस तरह के निर्णय से अटैच की गई संपत्तियों की अवैध बिक्री को प्रोत्साहन मिल सकता है।
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