नई दिल्ली, 30 जून 2025:
भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA), नई दिल्ली में आज विधि और न्याय मंत्रालय के विधि कार्य विभाग के संयुक्त सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों के लिए पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। यह कार्यक्रम 30 जून से 4 जुलाई 2025 तक आयोजित किया जा रहा है और इसे IIPA तथा विधि कार्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।
कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री श्री अर्जुन राम मेघवाल ने किया। इस अवसर पर विधि कार्य विभाग की सचिव डॉ. अंजू राठी राणा भी उपस्थित रहीं।
अपने संबोधन में मंत्री श्री मेघवाल ने प्रशासनिक अनुभवों के आधार पर निरंतर सीखने की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने 1975 की आपातकाल जैसी ऐतिहासिक घटनाओं का जिक्र करते हुए अधिकारियों को "दिल से निर्णय लेने" की सलाह दी और सार्वजनिक पद पर संवैधानिक जिम्मेदारी की भावना को आत्मसात करने का आह्वान किया। उन्होंने यह भी कहा कि आज देश "महिला सशक्तिकरण" से आगे बढ़कर "महिला नेतृत्व विकास" की ओर अग्रसर है, और यह भावना प्रशासनिक सोच में भी परिलक्षित होनी चाहिए।
IIPA के प्रो. सुरेश मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्थान की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल नियम आधारित प्रशासन से भूमिका आधारित प्रशासन की ओर एक बदलाव है, जिसका उद्देश्य संस्थागत दक्षता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।
विधि सचिव डॉ. अंजू राठी राणा ने इस प्रशिक्षण को केवल एक इंडक्शन न मानते हुए इसे "पेशेवर आत्ममंथन और संस्थागत नवाचार" का अवसर बताया। उन्होंने 'मिशन कर्मयोगी' की परिकल्पना को ध्यान में रखते हुए यह स्पष्ट किया कि आज के समय में विधिक नेतृत्व को संवेदनशील, अनुकूल और जनसेवा केंद्रित होना चाहिए।
उन्होंने तीन औपनिवेशिक आपराधिक कानूनों के उन्मूलन और नए दंड सुधार कानूनों के निर्माण का उल्लेख करते हुए कहा कि संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की भूमिका इन सुधारों के क्रियान्वयन और व्याख्या में अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने अधिकारियों से पारंपरिक ‘फाइल केंद्रित’ कार्यशैली से आगे बढ़ते हुए ‘समाधान केंद्रित’ दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया।
यह पहला ऐसा प्रशिक्षण कार्यक्रम है जो विशेष रूप से विधि कार्य विभाग के संयुक्त सचिवों के लिए तैयार किया गया है। इसका उद्देश्य अधिकारियों को रणनीतिक सोच, जटिल समस्याओं के समाधान और विधिक-नीतिगत समन्वय की गहराई से समझ विकसित करने में सक्षम बनाना है।
'विकसित भारत 2047' की दृष्टि को केंद्र में रखते हुए, यह प्रशिक्षण वरिष्ठ विधिक अधिकारियों को ऐसा नेतृत्व प्रदान करने हेतु सशक्त करेगा जो सिद्धांतों में दृढ़, संस्थागत समझ से परिपूर्ण और भविष्यदृष्टि से युक्त हो।
कार्यक्रम का समापन औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।