भोपाल। मध्यप्रदेश के महाविद्यालयों में कार्यरत करीब 4700 अतिथि विद्वानों (Guest Lecturers) की सेवाएं एक-एक कर समाप्त की जा रही हैं। यह घटनाक्रम उस समय हो रहा है जब राज्य सरकार द्वारा नियमितीकरण और स्थायी नियुक्ति का वादा किया गया था। अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा ने चेतावनी दी है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो जून 2025 में राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जाएगा।
वादे जो अधूरे रह गए
विधानसभा चुनाव 2023 से पहले, 11 सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि विद्वानों की महापंचायत में कई बड़े ऐलान किए थे। उन घोषणाओं में शामिल थे:
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₹1500 प्रतिदिन मानदेय की जगह ₹50,000 मासिक फिक्स वेतन
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अतिथि विद्वानों को स्थायी मानते हुए नौकरी सुरक्षा
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सरकारी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं देना
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सेवाओं से बाहर किए गए (फॉलन आउट) विद्वानों की पुनर्नियुक्ति
इस दौरान मंच पर वर्तमान मुख्यमंत्री और तब के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव भी मौजूद थे।
सेवाएं अचानक हो रहीं समाप्त
हाल के हफ्तों में राज्य के विभिन्न कॉलेजों से प्राचार्यों द्वारा अतिथि विद्वानों की सेवाएं समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके पीछे प्रमुख कारण माने जा रहे हैं:
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स्थानांतरण के बाद स्थायी प्रोफेसरों की नई नियुक्तियाँ
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मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) के जरिए भर्ती
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रिक्त पद भरने के बाद अतिथि विद्वानों को दोबारा न बुलाया जाना
इससे हजारों विद्वानों का रोजगार खतरे में पड़ गया है और उनका भविष्य अनिश्चितता में है।
संघर्ष मोर्चा की चेतावनी
अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुरजीत सिंह भदौरिया ने कहा कि "राज्यभर में पीएचडी, NET और SLET जैसी उच्च योग्यताएं रखने वाले विद्वान वर्षों से सेवा दे रहे हैं, फिर भी सरकार ने उन्हें नज़रअंदाज़ किया है।"
मोर्चा ने स्पष्ट किया है कि अगर सरकार ने अपनी घोषणाओं को लागू नहीं किया, तो जून 2025 में ज़बरदस्त आंदोलन छेड़ा जाएगा।