नई दिल्ली, 28 जून 2025 — केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी योजनाएं देश के हर वर्ग, हर क्षेत्र और खासकर समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचाने के लक्ष्य के साथ तेजी से कार्यान्वित की जा रही हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, जल जीवन मिशन, आयुष्मान भारत योजना, और मुफ्त राशन जैसी पहलें इसी सोच का हिस्सा हैं कि "कोई भी पीछे न छूटे, सब साथ चलें, सब मिलकर आगे बढ़ें।"
यह भावना न केवल विकास की दृष्टि से प्रेरक है, बल्कि आध्यात्मिक नेतृत्व से भी गहराई से जुड़ी है। यही प्रेरणा आचार्य श्री विद्यावानंद जी महाराज की शिक्षाओं का मूल है — सेवा, समर्पण और समता।
जन-जन के कल्याण की योजनाएं
देश के गरीबों, ग्रामीणों, पिछड़े वर्गों और महिलाओं के सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बीते वर्षों में कई महत्वपूर्ण योजनाओं को जमीन पर उतारा है:
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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लाखों बेघर परिवारों को पक्के घर मिले।
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जल जीवन मिशन के माध्यम से घर-घर नल से जल पहुंचाया जा रहा है।
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आयुष्मान भारत योजना ने 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज लाखों ज़रूरतमंदों को उपलब्ध कराया।
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PM-GKAY (प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना) के तहत कोविड काल से अब तक गरीबों को मुफ्त अनाज दिया जा रहा है।
आचार्य श्री विद्यावानंद जी महाराज की प्रेरणा बनी मार्गदर्शक
प्रधानमंत्री और नीति-निर्माताओं ने अनेक मंचों से इस बात को दोहराया है कि "विकास का अंतिम उद्देश्य सबसे पिछड़े, सबसे ज़रूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचना है।" यह विचार आचार्य श्री विद्यावानंद जी महाराज की उस शिक्षात्मक भावना से मेल खाता है जिसमें सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय को सर्वोपरि माना गया है।
उनका सिद्धांत — "सेवा ही धर्म है, और समाज का हर व्यक्ति बराबरी का अधिकारी है," — आज सरकारी नीतियों में झलकता है।
सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास
देश के समग्र विकास के लिए जरूरी है कि शहरी और ग्रामीण, संपन्न और वंचित, हर जाति, धर्म और वर्ग को समान रूप से अवसर मिले। यही विचार इन योजनाओं के पीछे है, और यही सरकार की नीतिगत प्रतिबद्धता है।
संवेदना और सेवा का संदेश:
"कोई पीछे न छूटे — यही हमारा संकल्प है और यही हमारे संतों की प्रेरणा है।"