इंदौर | 14 मई 2025 — इंदौर को भिक्षावृत्ति से मुक्त करने के अभियान के तहत प्रशासन की एक बड़ी चूक सामने आई है। प्रशासन ने एक ऐसे व्यक्ति को भिक्षुक समझकर उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेज दिया, जो पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर, मीसाबंदी, और पूर्व स्वतंत्रता सेनानी विनोबा भावे के सहयोगी रह चुके हैं।
72 वर्षीय देवव्रत चौधरी, जो फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हैं और सामाजिक आंदोलनों से जुड़े रहे हैं, आज भी अपनी जीवंत स्मृतियों में गांधीवादी आंदोलन की गूंज सुनाते हैं। देवव्रत जी ने दैनिक भास्कर से बात करते हुए बताया कि वे मुंबई की कई बड़ी कंपनियों में इंजीनियर के तौर पर काम कर चुके हैं और उनके बैंक खाते में ₹10 लाख की जमा राशि है। उन्हें मीसाबंदी योजना के तहत ₹30,000 प्रति माह की पेंशन भी मिलती है।
राजबाड़ा से उठाकर भेजा गया आश्रम
15 अप्रैल को प्रशासन की टीम ने उन्हें इंदौर के राजबाड़ा स्थित मंदिर से उठाया, जहाँ वे प्रतिदिन की तरह भीख मांग रहे थे। इसके बाद उन्हें उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेज दिया गया, जहाँ वे आज भी रह रहे हैं।
देवव्रत जी का कहना है कि उनके परिवार में एक भाई सेना में कर्नल और दूसरा बैंक अधिकारी रहा है। बावजूद इसके वे जीवन के इस पड़ाव पर मंदिर के बाहर भीख मांगने को मजबूर हो गए थे। वे रोजाना की तरह मंदिर में भीख मांग रहे थे।
इंदौर से अब तक 425 लोगों को भेजा गया आश्रम
इंदौर प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे "भिक्षुक मुक्त अभियान" के तहत अब तक 425 लोगों को उज्जैन के सेवाधाम आश्रम में भेजा गया है, जहाँ वर्तमान में 1100 से अधिक निवासी रह रहे हैं।