इंदौर। प्रदेश की राजनीति और संस्कृति के संगम स्थल राजवाड़ा में आज एक ऐतिहासिक क्षण दर्ज होने जा रहा है। करीब 80 साल बाद, मध्य प्रदेश कैबिनेट की बैठक पहली बार इंदौर के राजवाड़ा स्थित गणेश हॉल में आयोजित की जा रही है। बैठक का समय सुबह 11:30 बजे तय किया गया है, जिसमें मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और समस्त मंत्रीगण भाग लेंगे। इस आयोजन के लिए पूरे राजवाड़ा क्षेत्र को नो व्हीकल जोन घोषित कर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है।
लालबाग पैलेस से होगा मुख्यमंत्री का आगमन
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बैठक से पहले लालबाग पैलेस पहुंचेंगे, जहां वे ₹47.59 करोड़ की लागत से होने वाले जीर्णोद्धार और उद्यान पुनर्विकास कार्यों का भूमिपूजन करेंगे। स्थानीय नागरिक और समर्थक बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री के स्वागत के लिए तैयार हैं।
ऐतिहासिक अंदाज़ में होगी बैठक
राजवाड़ा के गणेश हॉल में बैठक की व्यवस्था पारंपरिक शैली में की गई है। मंत्रियों और मुख्यमंत्री के बैठने के लिए कुर्सियों की जगह पटिए और गद्दे बिछाए गए हैं। यह नजारा 1945 के दरबार की याद दिलाता है, जब अंतिम बार यहां होलकर शासनकाल के दौरान मंत्री परिषद की बैठक हुई थी। उस समय भी मंत्री पटिए-गद्दों पर बैठते थे और पारंपरिक रूप से सजाए गए लोटों का प्रयोग होता था।
मेट्रोपॉलिटन अधिनियम 2025 पेश होगा
बैठक में महत्वपूर्ण 'मप्र मेट्रोपॉलिटन नियोजन एवं विकास अधिनियम 2025' को कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा। अधिनियम पारित होते ही मेट्रो क्षेत्रों के लिए मेट्रोपॉलिटन प्लानिंग कमेटी (MPC) और मेट्रोपॉलिटन रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (MRDA) का गठन होगा। ये संस्थाएं शहरी विकास कार्यों में समन्वय और निगरानी का कार्य करेंगी।
अद्वैत लोक निर्माण के लिए ₹2200 करोड़ की मंजूरी
बैठक में ओंकारेश्वर में अद्वैत लोक (आदि शंकराचार्य संग्रहालय) के निर्माण के लिए ₹2200 करोड़ की स्वीकृति भी दी जाएगी। इसके अलावा विजन डाक्यूमेंट 2047 पर आठ समूहों में विस्तार से चर्चा की जाएगी।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
राजवाड़ा के आसपास के सभी मार्गों पर बैरिकेडिंग कर दी गई है। पूरे क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात है और सिर्फ पासधारकों को ही प्रवेश की अनुमति है। सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए आम नागरिकों का प्रवेश नियंत्रित किया गया है।
मालवी संस्कृति की झलक
बैठक के बाद मेहमानों के लिए पारंपरिक मालवी भोज का आयोजन किया गया है, जिसमें क्षेत्रीय व्यंजनों की प्रस्तुति की जाएगी। यह आयोजन न केवल प्रशासनिक निर्णयों के लिहाज से महत्वपूर्ण है, बल्कि इंदौर की सांस्कृतिक विरासत को पुनः जीवित करने का प्रतीक भी बन गया है।