भोपाल। हमीदिया अस्पताल से एक बेहद चिंताजनक वीडियो सामने आया है, जो स्वास्थ्य सेवाओं की जमीनी हकीकत को उजागर करता है। वीडियो में देखा जा सकता है कि एक हृदय रोगी को उसका परिजन अकेले स्ट्रेचर पर धक्का देते हुए पुराने कैथलैब से लेकर नए भवन की 11वीं मंजिल तक ले जा रहा है।
रास्ते में अमृत फार्मेसी के पास ढलान पर संतुलन बिगड़ गया, लेकिन परिजन ने सूझबूझ से खुद को संभालते हुए मरीज को गिरने से बाल-बाल बचा लिया। समय रहते संतुलन बना लेने से एक बड़ा हादसा टल गया, लेकिन इस घटनाक्रम ने अस्पताल की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
प्रबंधन के दावे झूठे साबित
हमीदिया अस्पताल प्रबंधन ने दावा किया था कि कैथलैब से वार्ड तक मरीजों को पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस और सपोर्ट स्टाफ उपलब्ध है। लेकिन हकीकत यह है कि मरीजों को परिजन बिना किसी सहायक स्टाफ के धूप, बारिश और उबड़-खाबड़ रास्तों से खुद स्ट्रेचर या व्हीलचेयर पर ले जाने को मजबूर हैं।
हर महीने 300–400 मरीज प्रभावित
यह समस्या किसी एक दिन या एक मरीज की नहीं है। अस्पताल में हर महीने 300 से 400 हृदय रोगियों को कैथलैब से प्रोसीजर के बाद वार्ड में शिफ्ट किया जाता है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में यह पूरी प्रक्रिया मरीजों और उनके परिजनों के लिए बेहद कठिन हो जाती है।
परिस्थितियां बेहद खराब
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पुरानी कैथलैब फिलहाल ट्रॉमा बिल्डिंग के पीछे अस्थायी रूप से संचालित हो रही है।
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इसके पास का पुराना भवन तोड़ा जा रहा है, जिससे रास्ता असुरक्षित और अव्यवस्थित हो गया है।
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परिजनों को मरीज को स्ट्रेचर पर करीब आधा किलोमीटर तक धूप, बारिश और भारी वाहनों के बीच से ले जाना पड़ता है।
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ढलानों और निर्माण कार्य के बीच रास्ता न केवल असुविधाजनक बल्कि खतरनाक भी है।
जनहित में मांगें उठ रहीं
वीडियो सामने आने के बाद अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठे हैं। स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की जा रही है। परिजनों का कहना है कि या तो अस्थायी ट्रांजिट सुविधा दी जाए या मरीजों को लाने-ले जाने के लिए स्थायी एम्बुलेंस और सपोर्ट स्टाफ तैनात किया जाए।